नई दिल्ली। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने 15 दिसंबर को रिटेल डेमोक्रेसी डे के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है। इस दिन देश के सभी राज्यों के जिलों में ज़िलाधिकारियों को स्थानीय व्यापारी संगठन एक ज्ञापन सौंपेंगे। यह ज्ञापन पीएम नरेंद्र मोदी के नाम होगा। साथ ही ज्ञापन सौंपने से पहले रिटेल प्रजातंत्र मार्च निकाला जाएगा। देश के सबसे बड़े कारोबारी संगठन ने यह जानकारी दी है।  CAIT का आरोप है कि देश की कुछ बड़ी और प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के चलते यह डे मनाया जा रहा है।

ज्ञापन में पीएम मोदी से आग्रह किया गया है कि वह जल्द से जल्द एक ई-कॉमर्स पॉलिसी घोषित करें। इसमें सुदृढ़ एवं अधिकार संपन्न एक ई-कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन, लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत को अमलीजामा पहनाने के लिए देश भर में व्यापारियों एवं अधिकारियों की एक संयुक्त समिति केंद्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं जिला स्तर पर गठित की जाए। इन समितियों में सरकारी अधिकारी एवं व्यापारियों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।

ट्रेडर्स के ई-कॉमर्स कंपनियों पर आरोप

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने एक संयुक्त वक्तव्य में बताया कि कुछ बड़ी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने मनमाने रवैये और सरकार की ई-कॉमर्स पॉलिसी के प्रावधानों का लगातार घोर उल्लंघन किया है जिसमें विशेष रूप से लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिस्काउंट देना, पोर्टल पर बिकने वाले सामान की इन्वेंटरी पर नियंत्रण रखना, माल बेचने पर हुए नुक्सान की भरपाई करना, विभिन्न ब्रांड कंपनियों से समझौता कर उनके उत्पाद एकल रूप से अपने पोर्टल पर बेचना आदि शामिल हैं।

यह स्पष्ट रूप से सरकार की एफडीआई पालिसी (FDI Policy) के खिलाफ है। उसके बावजूद ये कंपनियां खुले आम मनमानी कर रही हैं। ट्रेडर्स का कहना है कि इस वजह से देश के ई-कॉमर्स व्यापार में ही नहीं बल्कि रिटेल बाजार में भी असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बना हुआ है। इस वजह से देश के छोटे व्यापारियों के लिए कारोबार करना बेहद मुश्किल हो गया है।