नई दिल्ली। UPSC प्रीलिम्स की परीक्षा के आयोजन को लेकर केंद्र सरकार राज़ी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का पक्ष रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच को बताया कि केंद्र सरकार उन अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित कराने के लिए राज़ी है, जिनकी परीक्षा कोरोना के कारण छूट गई थी। हालांकि उम्र की सीमा को लेकर एक बड़ा पेंच फंस गया है। 

दरअसल सरकार इस दौरान ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा में सम्मलित नहीं होने देना चाहती जो कि परीक्षा के लिए पूर्व निर्धारित उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं। सरकार का कहना है कि वो ऐसे अभ्यर्थियों को एक और मौका नहीं देगी, जो इस दौरान अधिकतम उम्र की निर्धारित सीमा पार कर चुके हैं। इसके साथ ही सरकार उन अभ्यर्थियों को भी अवसर देने के पक्ष में नहीं है, जिनका अभी आखिरी अटेम्प्ट समाप्त नहीं हुआ है।

सरकार के इस रुख पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपनी कोई टिप्पणी नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि वे यह जानकारी 100 याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे वकीलों को दें। कोर्ट ने सोमवार तक याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सोमवार को ही मामले की अगली सुनवाई भी होगी।

क्या है मामला 

दरअसल 4 अक्टूबर 2020 को देश भर के अलग हिस्सों में UPSC की प्रीलिम्स परीक्षा आयोजित की गई थी। इनमें से कुछ अभ्यर्थी कोरोना के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। शामिल न हो पाने वाले अभ्यर्थियों में कई ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनके लिए यह आखिरी अवसर था। इसके बाद अभ्यर्थियों ने आखिरी अवसर पाने की उम्मीद से सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। अभ्यर्थियों ने कोर्ट से मांग की कि उन्हें परीक्षा में बैठने का एक और मौका दिया जाए। सरकार ने अपनी नई पेशकश इसी केस की सुनवाई के सिलसिले में की है।