नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने बीजेपी के वार पर किया है करारा पलटवार। शशि थरूर ने ट्विट पर लिखा है, "मैं अब तक समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर कांग्रेस को किस बात की माफी मांगनी चाहिए। क्या हम इसलिए माफी मांगें क्योंकि हम सरकार से अपने जवानों को सुरक्षित रखने की उम्मीद करते हैं? या फिर एक राष्ट्रीय त्रासदी पर राजनीति करने की जगह इसे लेकर चिंता जाहिर करने पर माफी मांगें? या फिर हमें अपने शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए माफी मांगनी चाहिए?"



दरअसल ये सवाल शशि थरूर ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर जैसे बीजेपी के उन नेताओं से पूछे हैं जो पाकिस्तान के एक मंत्री का बयान आने के बाद से कांग्रेस को घेरने में लगे हैं। जावडेकर ने हाल ही में एक बयान में कहा है कि "पाकिस्तान ने पुलवामा आतंकी हमले में अपना हाथ होने की बात मान ली है। अब कांग्रेस और अन्य लोगों को, जिन्होंने साजिश की कहानियां बुनी थीं, अपने बयानों को लेकर देश से क्षमा मांगनी चाहिए।"





पुलवामा हमले के बाद CRPF के काफिले की सुरक्षा पर उठे थे सवाल



बता दें कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद ये सवाल उठे थे कि जिस रास्ते से सीआरपीएफ का काफिला गुज़र रहा था, वहां आतंकवादी विस्फोटक से लदी गाड़ी लेकर कैसे पहुंच गए। उस रास्ते को सैनिटाइज़ क्यों नहीं किया गया, या सुरक्षा बलों के गुज़रते समय वहां बाकी ट्रैफिक रोका क्यों नहीं गया, जबकि आतंकवाद प्रभावित इलाका होने की वजह से जम्मू-कश्मीर में ऐसा आम तौर पर किया जाता रहा है।



आतंकवादियों के साथ पुलिस अफसर की गिरफ्तारी के बाद फिर उठे सवाल



इसके बाद जनवरी 2020 में जब जम्मू कश्मीर में तैनात रहे डीएसपी देविंदर सिंह को आतंकवादियों के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया तो एक बार पुलवामा में सुरक्षा की चूक को लेकर सवाल उठे। ऐसी खबरें भी आईं कि आतंकवादियों का सहयोगी देवेंदर सिंह सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के दौरान पुलवामा में ही था। उस वक्त विपक्ष ने सवाल पूछे कि लंबे समय तक आतंकवाद प्रभावित इलाकों में तैनात रहने वाला और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से जुड़ा रहा एक सीनियर पुलिस अधिकारी की आतंकियों के साथ मिलीभगत का खुलासा हुआ है, तो उसके तार किन-किन आतंकी घटनाओं से जुड़े हो सकते हैं।



देश हित में सरकार से सवाल करना विपक्ष का काम



इन्हीं संदर्भों में विपक्ष के नेताओं ने कई बार सरकार से ऐसे सवाल किए, जो देश की सुरक्षा से जुड़ी उनकी चिंताओं को उजागर करते हैं। क्या ऐसे सवाल पूछना विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं है? ऐसे में उन सवालों को लेकर बीजेपी और उसके नेता जिस तरह विपक्ष पर हमले कर रहे हैं, वो भारतीय लोकतंत्र के एक नये दौर का संकेत है, जहां देश हित में पूछे गए सवालों को देश विरोधी और वाजिब सवालों के जवाब न देने को देशभक्ति करार दिया जाता है।