भारत के किसान आंदोलन की गूंज जल्द ही ब्रिटेन की संसद में फिर से सुनाई दे सकती है। दरअसल भारत में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन और उनमें शामिल किसानों के साथ मोदी सरकार के रवैये को लेकर ब्रिटेन में एक ई-पिटीशन शुरू किया गया था, जिसका एक लाख से ज़्यादा लोग समर्थन कर चुके हैं। जिसके बाद ब्रिटिश संसद में एक बार फिर से भारत में हो रहे किसान आंदोलन पर चर्चा हो सकती है। इस पिटीशन में आंदोलनकारी किसानों की सुरक्षा के साथ ही साथ प्रेस की आज़ादी सुनिश्चित करने की माँग भी की गई है।

दरअसल ब्रिटिश संसद की वेबसाइट पर ई-पिटीशन शुरू करने की सुविधा है, जिसके ज़रिए आम लोग अपनी राय रख सकते हैं । अगर किसी ई-पिटीशन को एक लाख से ज़्यादा लोगों का समर्थन मिल जाए तो उस पर संसद में चर्चा की जा सकती है। चूँकि भारत के किसान आंदोलन और प्रेस फ़्रीडम के मसले पर दायर पिटीशन पर अब तक एक लाख से काफ़ी अधिक लोगों का समर्थन मिल चुका है, लिहाज़ा उस पर संसद में चर्चा किए जाने की पूरी संभावना है। ब्रिटिश संसद की पिटीशन्स कमेटी जल्द ही इस पिटीशन पर चर्चा करने के बारे में विचार करके कोई फ़ैसला ले सकती है।

इस पिटीशन का समर्थन करने वालों की सूची में लंदन से कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद के तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का नाम भी मौजूद है। हालाँकि यह जानकारी सामने आने के बाद उनके दफ़्तर ने सफ़ाई दी है कि प्रधानमंत्री ने इस पिटीशन पर दस्तख़त नहीं किए हैं।

इससे पहले भी ब्रिटेन की संसद में भारतीय मूल के कई सांसदों द्वारा किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया जा चुका है। वहां इस पर हुई चर्चा के दौरान किसानों की मौत के मसले को लेकर भारत सरकार की आलोचना भी हो चुकी है। ब्रिटेन से पहले अमेरिका और  कनाडा जैसे देश भी किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है। भारत सरकार ने हर बार इसे अपना आंतरिक मामला बताकर इस तरह की किसी भी टिप्पणी का विरोध किया है।