नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा है कि सरकार अपने पिछले प्रस्ताव पर अब भी कायम है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने अपने सूत्रों के हवाले से कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी नेताओं को किसान आंदोलन के संबंध में कहा है कि पिछ्ली बैठक में किसानों के सामने रखे गए प्रस्ताव पर सरकार अब भी कायम है। 



 प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी नेताओं से कहा कि 'सरकार अपने प्रस्ताव पर अब भी कायम है। आप यह सन्देश अपने समर्थकों तक पहुंचा दें। कोई भी समाधान बातचीत के ज़रिए ही निकाला जा सकता है। हम सभी को राष्ट्र के बारे में सोचने की ज़रूरत है।'





मोदी ने सरकार और किसान नेताओं के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि, 'मैं नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किसानों को बताई गई बातों को दोहराना चाहता हूं। उन्होंने किसानों से कहा था कि हम आम सहमति तक नहीं पहुंचे हैं लेकिन हम आपको (किसानों को) प्रस्ताव दे रहे हैं। आप यहाँ से जाकर इस प्रस्ताव पर सोच सकते हैं। कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से कहा था कि वे सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं। दरअसल 22 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच हुई बैठक में केंद्र सरकार ने किसान नेताओं के सामने कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव रखा था। जिसे किसान नेताओं ने सिरे से खारिज कर दिया था।  



बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत और अकाली दल नेता बलविंदर सिंह भुंडेर ने किसानों का मसला प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष उठाया। जबकि जेडीयू के नवनिर्वाचित अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कृषि कानूनों का समर्थन किया। एनसीपी नेता शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि उनकी पार्टी ने आंदोलन कर रहे किसानों और महिला आरक्षण का मुद्दा इस मीटिंग में उठाया। 



इस सर्वदलीय बैठक के इतर, शुक्रवार को दो अलग अलग प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने आंदोलनकारी किसानों को अपने समर्थन का ऐलान किया, जिसे देखते हुए सरकार की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के अवरोध पर चिंता जताते हुए छोटी पार्टियों को तवज्जो देने की बात कही है और सांसदों से अपील की है कि संसद को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें। मीडिया सोर्सेज के मुताबिक राषट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद ज्ञापन के लिए संसद में चार दिन का समय तय किया गया है।