नई दिल्ली। एलएसी पर जारी तनाव को खत्म करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई कोर कमांडर स्तर की पांचवीं बैठक में पैंगोग सो और भारतीय दावे के दूसरे इलाकों से चीनी सेना के पीछे हटने को लेकर दोनों पक्षों के बीच गंभीर मतभेद बने हुए हैं। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की सेना भारतीय दावे के पैंगोग सो झील के उत्तरी किनारे पर अपनी उपस्थिति मजबूत करती जा रही है। यहां तक की चीन ने इस इलाके को विवाद का बिंदु ही मानने से इनकार कर दिया है।

कोर कमांडर स्तर की पांचवी बैठक चीन की तरफ मोल्डो में हुई और दो अगस्त की सुबह 11 बजे से रात 9.30 बजे तक चली। इससे पहले 14 जुलाई को हुई कोर कमांडर स्तर की चौथी बैठक में भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला था। वहीं 30 जून को हुई तीसरी बैठक के बाद दोनों पक्षों ने सेनाओं को संघर्ष के कुछ बिंदुओं से पीछे हटाया था, लेकिन पैंगोग सो के उत्तरी किनारे और गोगरा पोस्ट पर स्थिति जस की तस बनी रही। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की सेना पैंगोग सो में फिंगर चार तक आ गई थी। भारत के अनुसार यह जगह एलएसी की हिस्सा है। तनाव कम करने की प्रक्रिया के तहत चीनी सेना ने फिंगर चार को खाली कर फिंगर पांच की तरफ रुख किया था। हालांकि, चीनी सेना अभी भी फिंगर चार की कटक रेखा पर मौजूद है।

गलवान घाटी के संघर्ष बिंदुओं पीपी 15 और पीपी 14 पर पूरी तरह से दोनों पक्षों के सैनिकों को पीछे हटा लिया गया है। गलवान घाटी में ही 15 जून को दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।रिपोर्ट्स के मुताबिक डेपसांग में भी भारतीय सेना अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर नहीं जा पा रही है। चीन ने डेपसांग इलाके में वाई जंक्शन पर भारतीय सेना को ब्लॉक कर दिया है। यह इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दौलत बाग ओल्डी से तीस किलोमीटर की दूरी पर है।इससे पहले 31 जुलाई को भारत में चीन के राजदूत सुन वाइडॉन्ग ने कहा था कि चीन की पारंपरिक सीमा रेखा एलएसी के अनुरूप है। उन्होंने इस तथ्य को मानने से इनकार कर दिया कि चीन ने अपनी सीमा रेखा का विस्तार किया है।