नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने श्रीलंका का साथ नहीं दिया। मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका सरकार के मानवाधिकार उल्लंघन और युद्ध अपराध के प्रस्ताव पर वोटिंग में भारत शामिल नहीं हुआ। परिषद में भारत की गैर हाजिरी की बड़ी वजह तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव को माना जा रहा है। 

सोमवार को मानवाधिकार परिषद में 47 में से 22 वोट श्रीलंका के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में पड़े। जबकि 11 देशों ने श्रीलंका के समर्थन में प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। लेकिन भारत समेत 14 देश इस वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे। गैरहाजिर रहने वाले देशों में नेपाल भी शामिल रहा। श्रीलंका का साथ देने वाले देशों में चीन और पाकिस्तान देश शामिल रहे। 

वोटिंग में भारत की गैर हाजिरी को तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी देखा जा रहा है। श्रीलंका में तमिलों का मानवाधिकार एक बड़ा मुद्दा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तमिलनाडु में बीजेपी के सहयोगी दल एआईडीएमके ने बीजेपी को तमिलों के खिलाफ न जाने की हिदायत थी। क्योंकि श्रीलंका का समर्थन करने पर राज्य में बीजेपी और उसके सहयोगियों की छवि तमिल विरोधी दल के तौर पर पनप सकती थी। लिहाज़ा बीजेपी शासित भारत सरकार ने वोटिंग का हिस्सा न रहने का निर्णय किया। 

लेकिन भारत सरकार के वोटिंग में शामिल न होने से खुद भारत सरकार और बीजेपी की परेशानी समाप्त नहीं हुई हैं। क्योंकि भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका के खिलाफ आए प्रस्ताव पर कोई स्टैंड नहीं लिया। अगर श्रीलंका के खिलाफ आए प्रस्ताव के न तो समर्थन और न ही विरोध में वोटिंग कर बीजेपी यह समझ रही है कि वे तमिल वोटरों को आश्वस्त करने में सफल हो जाएगी। तो इसकी संभावना कम ही है। दूसरी तरफ कूटनीतिक स्तर पर भी भारत सरकार को झटका लगा है। क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग से नदारद होने से यही संदेश गया है कि भारत श्रीलंका के पक्ष में नहीं है। दूसरी तरफ पाकिस्तान और चीन जैसे भारत के दुश्मन देशों ने श्रीलंका के पक्ष में वोटिंग की है।