नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान अपने-अपने उच्चायोगों में एक बार फिर से हाई कमिश्नर स्तर के अफसरों को तैनात कर सकते हैं। मीडिया में सूत्रों के हवाले से ऐसी उम्मीद जाहिर की जा रही है। फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच दोनों देशों अपने-अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया था। इसके बाद से ही दोनों देशों के उच्चायोगों के शीर्ष पद खाली पड़े हैं।

सीएनएन न्यूज़ 18 ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि संघर्षविराम के नियमों पर सहमति जताने वाली घोषणा के बाद से ही दोनों पड़ोसी मुल्क नई दिल्ली और इस्लामाबाद में अपने उच्चायुक्तों की तैनाती पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान समेत कॉमनवेल्थ के सदस्य देश एक-दूसरे के यहां जो सर्वोच्च राजनयिक तैनात करते हैं, उन्हें उच्चायुक्त या हाई कमिश्नर कहा जाता है। बाकी देशों में यह पद राजदूत या अंबेसडर का होता है। 

भारत और पाकिस्तान अगर तनाव को कम करते हुए उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर राजी होते हैं तो यह बड़ी बात होगी। इसके पहले साल 2002 में भी ऑपेरशन पराक्रम के दौरान दोनों देशों ने अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया था। हालांकि, अगले ही साल तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पड़ोसी देश में जनरल मुशर्रफ के प्रयासों से संघर्षविराम हुआ था। इसके बाद साल 2004 में तो सार्क समिट के बाद वाजपेयी पाकिस्तान भी गए थे। इस साल के अंत में भी सार्क समिट होने वाली है। 

इस बीच, अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पिछले तीन महीने में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की पाकिस्तान के सिविल और आर्मी नेतृत्व के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई है। इंडियन एक्सप्रेस ने तो यहां तक दावा किया है कि दोनों देशों के बैठकों में खाड़ी के किसी तीसरे देश के मौजूद रहने की भी संभावनाएं थी। एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट को दोनों देशों ने खारिज नहीं किया है।

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम के नियमों पर सहमति बनने का रक्षा विशेषज्ञ भी स्वागत कर रहे हैं। सीमावर्ती इलाकों में डर के साये में जी रहे नागरिक इससे राहत महसूस कर रहे हैं। इन इलाकों में रहने वाले आम नागरिकों का कहना है कि संघर्षविराम होने पर उनके बच्चे स्कूल जा सकेंगे और वे खेतों में बेखौफ होकर काम कर सकेंगे। हालांकि, एक सवाल अब भी है कि यह संघर्षविराम कबतक कायम रहेगा।

चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर डिसइंगेजमेंट और इसके कुछ ही दिनों बाद लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाकिस्तान के साथ सीजफायर समझौते को कुछ लोग अमेरिका में नई सरकार के गठन के बाद बदले माहौल से जोड़कर भी देख रहे हैं। हालांकि भारत और पाकिस्तान ने रिश्तों में नरमी के पीछे किसी भी तरह के अमेरिकी दबाव का साफ तौर पर खंडन किया है।