नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष व जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का केस चलाने की मांग को खारिज कर दिया है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार से अलग राय रखने वाले विचार जाहिर करने को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने की मांग की गई थी। लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत ने उल्टे याचिकाकर्ता पर ही 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है।

कोर्ट में रजत शर्मा और नेहा श्रीवास्तव ने याचिका दाखिल करके मांग की थी कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खिलाफ बयान देने पर फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का केस चलाने के आदेश दिए जाएं। उन्होंने याचिका में दावा किया था कि फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था, लिहाजा उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124-A के तहत कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिका में फारूक अब्दुल्ला की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग भी की गई थी।

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याचिकाकर्ता ने यहां तक कहा था कि अगर फारूख अब्दुल्ला संसद सदस्य बने रहते हैं, तो इसका मतलब यह होगा कि भारत में देश-विरोधी गतिविधियों को स्वीकार किया जा रहा है।  सुप्रीम कोर्ट ने इन तमाम दलीलों को खारिज करते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।