नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 को स्थगित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने साफ किया है कि सिविल सेवा परीक्षा अपने तय शेड्यूल के अनुसार 4 अक्टूबर को ही आयोजित की जाएगी। याचिका पर बुधवार (30 सितंबर) को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को निर्देश दिया है कि उन उम्मीदवारों को एक मौका और देने पर विचार करे जिनका यह आखिरी प्रयास है और वह कोरोम वायरस महामारी के कारण इस बार परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे।

मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने यूपीएससी से कहा है कि वह राज्यों को यह निर्देश दे सकता है कि अभ्यर्थियों को होटलों में सिविल सेवा परीक्षा का एडमिट कार्ड दिखाकर कमरा प्राप्त करने की अनुमति दें। इसके अलावा न्यायालय ने कहा है कि परीक्षा केंद्र में 100 से अधिक परीक्षार्थी नहीं रहेंगे और इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूरा पालन करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस मांग को भी ठुकरा दिया है जिसमें कोरोना संक्रमित अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की बात थी। कोर्ट ने इस बारे में कहा है कि वह आयोग को यह निर्देश नहीं दे सकता कि कोरोना संक्रमितों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे, क्योंकि इससे दूसरे लोगों की सेहत खतरे में पड़ जाएगी। सर्दी-जुकाम से पीड़ित मरीजों के लिए अलग बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं।

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बता दें कि यह परीक्षा पहले 31 मई को होने वाली थी। लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसे 4 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। बाद में देश भर के यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में शामिल होने वाले 20 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में इसे टालने के लिए याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ऑफलाइन परीक्षाओं का आयोजन अभ्यर्थियों की जिंदगियों को खतरे में डालने जैसा है और परीक्षा करवाने का फैसला अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन और स्वास्थ्य के अधिकारों का उल्लंघन है।