पति की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखती हैं। इस साल शुक्रवार 21 अगस्त को हरतालिका तीज मनाई जा रही है। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतिया तिथि को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है। हरतालिका तीज पर कन्याएं और सौभाग्यवती स्त्रियां व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं, और रात के समय जागरण करती हैं, और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं।

भगवान शिव और पार्वती की पूजा का विधान

हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। कहा जाता है कि इस दिन जो सौभाग्यवती महिला अपने पति के लिए व्रत रखती है, उसका पति दीर्घायु होता है। उमा-महेश्वर सौभाग्य, आरोग्य और सुखी रहने का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को अति फलदायी माना जाता है। उत्तर भारत में इस व्रत की बहुत अधिक मान्यता है। कहा जाता है अगर कोई कुंवारी कन्या इस दिन व्रत करके शिवजी से अपने विवाह की कामना करे तो उसे मनचाहा पति मिलता है। तीज के एक दिन पहले दूज की रात्रि को खीरा खाकर व्रत रखा जाता है, और चतुर्थी के दिन सबसे पहले खीरा खाकर यह व्रत खोला जाता है।

हरतालिका पूजा का मुहूर्त

हरतालिका पूजा मुहूर्त सुबह 5.54 बजे से सुबह 8.30 बजे तक है, और प्रदोषकाल शाम 6.54 से रात 9 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। वहीं जिन स्थानों पर महिलाएं सामूहिक पूजा करती हैं, फुलेहरा की स्थापना करती हैं वहां रात्रि में 5 बार पूजन और हवन आरती के साथ भजन, कीर्तन अपनी सुविधा के अनुसार किया जा सकता है।

कैसे करें हरतालिका व्रत में पूजन

हरतालिका तीज पर भगवान शिव पार्वती की पूजा के लिए मंडप तैयार किया जाता है। उसे फूल, केले के पत्ते  और आम के पत्तों से सजाया जाता है। बालू या मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है। पार्वती जी को सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है। जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, कपड़े, कलावा, नारियल, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, फल मिष्ठान मेवा, पान-सुपारी और दक्षिणा अर्पित किए जाते हैं।

हरतालिका तीज पर रात्रि जागरण होता है

शिव-पार्वती पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती हैं। हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, शमी पत्र, धतूरा, अकौआ के फूल शिवजी को अर्पण करने चाहिए और आरती करने का विधान है। इस दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सोलह श्रंगार करती हैं, हाथ में मेंहदी, पैर में महावर, नए कपड़े, चूड़ियां पहनकर हरतालिका तीज की पूजा करती हैं।

हरतालिका तीज की कथा

देवी पार्वती के पिता हिमालय ने उनका विवाह श्रीहरि विष्णु के साथ तय कर दिया था। लेकिन उन्होंने तो मन ही मन शिव जी को अपना पति मान लिया था। महादेव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती जंगल में तपस्या करना चाहती थीं। तब माता पार्वती की एक सहेली उनका हरण करके घने जंगलों में ले आई। इसके बाद पार्वतीजी ने भगवान शिव की तपस्या की और उन्हें प्रसन्न किया और अपने पति के रूप में प्राप्त किया था।