नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान और घटाकर -10.5 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक वृद्धि दर में 5 प्रतिशत की कमी आएगी। एजेंसी ने यह संशोधन तब किया है जब सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 23.9 फीसदी की भारी कमी आई है। यह कामी पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक होने के साथ-साथ पूरी दुनिया में भी सर्वाधिक है। 

फिच का यह संशोधन बताता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर में और आशंका है कि यह मंदी की जकड़ में जा चुकी है। हालांकि, केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार का यह भी कहना है चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों को संशोधित कर और कम किया जा सकता है। अभी असंगठित क्षेत्र के आंकड़ों की गणना की जा रही है।

फिच समूह के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी सूचक, चाहे वे आपूर्ति से जुड़े हों या खपत से, एक बहुत कमजोर रिकवरी की ओर इशारा कर रहे हैं।  हालांकि, एजेंसी ने कहा है कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था वापस से पटरी पर लौटेगी लेकिन यह काफी विषम होगा।