भोपाल। बिहार के बाद अब मध्य प्रदेश में भी मतदाता सूची को लेकर विवाद गहराने लगा है। मतदाता सूची में फर्जीवाड़े को लेकर कमलनाथ ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा है। कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में 55 से 57 लाख फर्जी मतदाता हैं और इतने ही वोट भाजपा को अतिरिक्त मिले थे। उन्होंने पूछा कि क्या यह महज एक संयोग है?

कमलनाथ ने एक मीडिया रिपोर्ट शेयर किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य में 55 से 57 लाख फर्जी मतदाता हैं। यानी आठ फीसदी नाम जो मतदाता सूची में हैं वो फर्जी हैं। इसे साझा करते हुए कमलनाथ ने लिखा, 'मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर क़रीब 55-57 लाख तक फ़र्ज़ी मतदाता होने की बात सामने आयी है। यह संख्या प्रदेश के कुल मतदाताओं की 8-10% तक है। इन्हीं मतदाताओं के आधार पर वर्ष 2023 का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव आयोजित किया गया था।'

कमलनाथ ने आबे लिखा, 'चुनाव के पूर्व भी कांग्रेस पार्टी ने बार-बार बड़ी संख्या में फ़र्ज़ी मतदाता होने की शिकायत निर्वाचन आयोग से की थी। कांग्रेस पार्टी ने एक ही पते पर सौ से अधिक मतदाता पंजीकृत होने के मामलों की शिकायत भी की थी और मकानों के फ़ोटो भी निर्वाचन आयोग को उपलब्ध कराए थे। दुर्भाग्य की बात रही कि उस समय इन फ़र्ज़ी मतदाताओं पर समुचित कार्रवाई नहीं की गई। इसी का परिणाम था कि 2018 में जहाँ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का वोट प्रतिशत लगभग समान 40 प्रतिशत के आस पास था, वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 40% के आस पास ही रहा जबकि भाजपा के वोट प्रतिशत में एकदम 8% का उछाल आया।'

कमलनाथ ने आगे कहा, 'क्या यह सिर्फ़ संयोग है कि आज जितने मतदाता फ़र्ज़ी बताए जा रहे हैं 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को क़रीब उतने ही अर्थात 8% अतिरिक्त वोट मिले थे। इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम संदेह के दायरे से परे नहीं है। बाद में महाराष्ट्र में भी बड़े पैमाने पर इसी तरह वोटर बढ़ाने का मामला नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी स्वयं उठा चुके हैं।'

उन्होंने आखिर में कहा कि अब समय आ गया है कि जनता अपने वोट के अधिकार को लेकर पूरी तरह जागरूक बनें और हर योग्य मतदाता अपना नाम पंजीकृत कराए तथा जो अयोग्य लोग हैं उनके नाम काटे जाएं। उन्होंने कहा, 'यहाँ यह भी बिलकुल स्पष्ट है कि फ़र्ज़ी मतदाताओं की पहचान इसलिए हो पा रही है क्योंकि उनके वोटर आयी कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया जा रहा है। इसलिए चुनाव आयोग को आधार कार्ड को हर सूरत में मतदाता पहचान पत्र के आवश्यक दस्तावेजों में शामिल करना चाहिए।'