Google इंडिया ने पर्सनल लोन देने का दावा करके फ़र्ज़ीवाड़ा किए जाने की शिकायतों के मद्देनज़र कई लोन ऐप्स (Loan Apps) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। कंपनी ने बताया है कि जिन लोन ऐप्स को यूजर सेफ्टी पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए पाया गया, उन्हें तुरंत प्ले स्टोर से हटा दिया गया है। गूगल (Google) ने इस बारे में अपने ऑफिशियल ब्लॉग में पूरी जानकारी दी है।

कंपनी ने बताया है कि उसने भारत में यूज़र्स और सरकारी एजेंसियों से मिली शिकायतों के आधार पर सैकड़ों पर्सनल लोन ऐप्स (Personal Loan Apps) की समीक्षा की है और जिन भी ऐप्स को यूज़र सेफ़्टी पॉलिसी का उल्लंघन करते पाया, उन्हें फ़ौरन गूगल प्लेस्टोर (Google Playstore) से हटा दिया गया है। इतना ही नहीं, गूगल ने कई ऐप्स के डेवलपर्स को यह चेतावनी भी दी है कि वे सभी ज़रूरी कानूनों और नियम-कायदों का पालन सुनिश्चित करें वरना उन ऐप्स को भी बिना किसी अगली चेतावनी के प्लेस्टोर से हटा दिया जाएगा।

जिन लोन ऐप्स को हटाया गया है उनमें से कुछ ऐसे भी थे जो 60 दिन या उससे भी कम वक़्त देते थे। कुछ ऐप्स ऐसे थे जो दस हज़ार रुपये के मामूली रक़म के लोन के लिए भी दो हज़ार रुपये तक प्रोसेसिंग फ़ीस ले लेते थे। यानी बीस फ़ीसदी तो सीधे-सीधे ये फ़ीस ही हो गई। कई ऐप्स लोन पर इतना भारी ब्याज़ वसूल रहे थे, जिसके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ कई ऐप्स तीस दिन तक के लोन पर साठ फ़ीसदी की सालाना दर से ब्याज वसूल रहे थे। इस तरह के ऐप्स के बारे में शिकायतें मिलने के बाद अब गूगल ने कड़े कदम उठाए हैं। नई शर्तों के मुताबिक़ इंस्टैंट लोन ऐप्स चलाने वालों को अब प्लेस्टोर पर बने रहने के लिए RBI का अनुमति पत्र दिखाना होगा। इसके लिए उन्हें पाँच दिन का वक़्त दिया गया है।

ऐप्स के नाम उजागर नहीं किए

गूगल (Google) ने अपने ब्लॉगपोस्ट में कहा है कि गूगल के प्रोडक्ट्स उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं। उनकी वैश्विक प्रोडक्ट पॉलिसी (Global Product Policy) इसी बात को ध्यान में रखकर डिजाइन और लागू की जाती है। गूगल का दावा है कि उसकी टीम यूज़र की सुरक्षा बढ़ाने और उनके परफ़ॉर्मेंस में लगातार सुधार के लिए काम करती है। लेकिन गूगल ने हटाए गए ऐप्स के नामों का खुलासा नहीं किया है, ये कुछ हैरान करने वाली बात है।

फर्जी ऐप्स पर रिज़र्व बैंक भी नज़र रख रहा है

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ऑनलाइन कर्ज देने से जुड़ी शिकायतों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए बुधवार को ही एक वर्किंग ग्रुप के गठन का एलान किया है। यह ग्रुप ऑनलाइन कर्ज देने वालों के लिए सही गाइडलाइंस और उनके रेगुलेशन के बारे में सुझाव देगा। रिज़र्व बैंक का यह भी मानना है कि ऑनलाइन कर्ज देने वाले प्लेटफॉर्म्स या मोबाइल ऐप्स की लोकप्रियता में हाल ही में आया उछाल चिंता की वजह है। RBI ने पिछले महीने ही लोगों को क़र्ज़ देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स के झांसे में नहीं आने की हिदायत दी थी।