भोपाल। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 23 जुलाई को अपना सातवां बजट पेश करेंगी। बजट से पहले विपक्षी दल कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अर्थव्यवस्था की तमाम पहलुओं पर केंद्र की नाकामियों को उजागर किया।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बजट को बनाने से पहले वित्त मंत्री ने कुछ उद्योगपतियों, बैंकर्स, किसान संगठनों से मुलाकात कर विचार-विमर्श किया है। लेकिन.. क्या वे उन परिवारों से मिली हैं, जो दिन में तीन वक्त की रोटी नहीं खा पा रहे हैं? क्या वे उन महिलाओं से मिली हैं, जो महंगाई से जूझ रही हैं? क्या वे उन किसानों से मिली हैं, जो फसल का सही दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या वे उन युवाओं से मिली हैं, जो पेपर लीक से प्रताड़ित हैं? क्या वे असल हिंदुस्तान से मिली हैं? ये स्पष्ट है कि वे उनसे नहीं मिली हैं। ये बजट चंद पूंजिपतियों को और अमीर बनाने के लिए बनाया जा रहा है।
सुप्रिया श्रीनेत ने एक किसान का उदाहरण देते हुए बताया कि मार्च, 2024 में उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले किसान पुष्पेंद्र अपनी थोड़ी सी जमीन पर मटर और गेहूं लगाते थे। हर किसान की तरह वह भी लगातार नुकसान झेल रहे थे, आमदनी लगातार घट रही थी और खर्चा बढ़ता जा रहा था। जिसके कारण उनके ऊपर करीब 1 लाख 4 हजार रुपए का कर्ज हो गया। वह इस कर्ज को चुका नहीं पाए और अंत में आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली। लेकिन इनके बारे में वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री को कुछ नहीं पता, इसलिए बजट इनके लिए नहीं बनाया गया है।
LocalCircles की रिपोर्ट बताती है- देश के 48% परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। लोगों की आय कम हुई है और वे बचत का सहारा लिए जीवन जी रहे हैं। आज देश की हालत - 'आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया' हो गया है।'
श्रीनेत ने आगे कहा, 'बजट आने से पहले देखिए कि देश की अर्थव्यवस्था का क्या हाल है- गुजरात की टूटती रेलिंग और मुंबई में एविएशन क्षेत्र की नौकरियों के लिए लाखों की भीड़, इस सरकार की झूठी दलीलों का पर्दाफाश करती हैं। आर्थिक कुप्रबंधन, नोटबंदी, आधी-अधूरी GST और अकुशल कोविड प्रबंधन जैसी नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को 11.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा नौकरियां खत्म हो गईं। ठेका और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों की हिस्सेदारी 2013 में 19% से बढ़कर 2022 में 43% हो गई। लेकिन नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि उन्होंने 8 करोड़ रोजगार दे दिए। आखिर कहां है ये नौकरियां?'
श्रीनेत ने कहा कि आज दवाइयों पर भी GST लगी है। पिछले 5 साल में स्वास्थ्य बजट 2.4% से घटकर 1.9% हो गया है। हालात ये हैं कि 2023 में हमारे देश के 16 लाख बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा।
ऐसे में अगर पोलियो और चेचक जैसी बीमारी लौट आई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? साफ है- मोदी सरकार ने कोविड से कुछ नहीं सीखा।
उन्होंने आगे कहा कि रेलवे में लगातार हादसे हो रहे हैं। लेकिन सिर्फ संवेदना व्यक्त कर इस बात को खत्म कर दिया जाता है। इसलिए देश पूछना चाहता है कि रेलवे को सुरक्षित बनाने के लिए इस बजट में क्या होगा? सीमेंट, स्टील, एयरपोर्ट, टायर हर जगह पहले 2-3 लोगों ने पूरे मार्केट शेयर पर कब्जा कर लिया है। इसका मतलब अगर एक कंपनी अपना दाम बढ़ाएगी, तो सभी कंपनियां अपना दाम बढ़ा देंगी। इसलिए सवाल है- क्या ये बजट इस मोनोपॉली को खत्म करेगा? हिंदुस्तान को सबसे ज्यादा खर्च शिक्षा पर करना चाहिए। लेकिन.. शिक्षा बजट को 7% कम कर दिया गया। UGC बजट को 61% कम कर दिया गया। जहां UPA सरकार शिक्षा पर GDP का औसतन 0.61% खर्च करती थी, वहीं मोदी सरकार ने इसे 0.44% कर दिया। मतलब- न पढ़ेगा इंडिया, न पूछेगा इंडिया।'
श्रीनेत ने ट्रेड को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि
हिंदुस्तान के जो टॉप 10 ट्रेडिंग पार्टनर हैं, उनमें से 9 के साथ हमारा ट्रेड डेफिसिट है। हम उनसे आयात ज्यादा कर रहे हैं, उन्हें निर्यात कम कर रहे हैं। यानी हम उनसे सामान खरीद ज्यादा रहे हैं, लेकिन उन्हें बेच कम रहे हैं। हिंदुस्तान का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर नरेंद्र मोदी का परम मित्र चीन है। चीन के साथ हमारा ट्रेड डेफिसिट 80 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।इसका मतलब चीन की सेना लद्दाख में जो हरकत करती है, उनको पैसा हम दे रहे हैं।
श्रीनेत ने कहा कि हिंदुस्तान में बचत का कल्चर है। इस कल्चर ने हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत रखा है।लेकिन आज हम बेरोजगारी, महंगाई, कम आय का इतना दंश झेल रहे हैं कि जो घरेलू कर्ज 25% GDP से कभी ऊपर नहीं गया, वह आज 41% के पास है।घरेलू कर्ज बढ़कर GDP का 41% हो गया है, जिसके कारण घरेलू बचत GDP के 6% से कम पर आ गई है। आज देश में महंगाई की मार से हर कोई परेशान है। Food Inflation लगातार 9% के ऊपर बना हुआ है और सब्जियों की कीमतों में 30% से ज्यादा की बढ़त हुई है। अमीर को फर्क न पड़ता हो, लेकिन गरीब की थाली से आपने सब्जी भी गायब करने का काम किया है। ये महंगाई हर तरफ है, जैसे- ट्रांसपोर्ट, स्कूल फीस, कपड़ा आदि। इसलिए सवाल है- क्या ये बजट महंगाई को रोक पाएगा?