काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में कल हुए बम ब्लास्ट से मरने वालों की संख्या बढ़कर 55 तक जा पहुंची है। गृह मंत्रालय ने बताया है कि मरने वालों में ज्यादातर 11 से 15 साल की मासूम स्कूली छात्राएं शामिल हैं। मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया है कि इस ब्लास्ट में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों की संख्या 150 के पार चली गई है। अफगानिस्तान में हुए इस खूनी हमले की दुनियाभर में निंदा हो रही है।

जानकारी के मुताबिक राजधानी काबुल के पश्चिमी इलाके में स्थित सैय्यद-उल-शुहादा हाईस्कूल के बाहर शनिवार को लगातार तीन बम ब्लास्ट हुआ था। इस स्कूल में लड़के और लड़कियां दोनों पढ़ने आते हैं, हालांकि उनका टाइमिंग अलग-अलग होता है। तीन शिफ्ट में चलने वाले स्कूल के दूसरे शिफ्ट में लड़कियों को पढ़ाया जाता है। शनिवार को बम भी तब हुआ जब लड़कियों का शिफ्ट खत्म हुआ और वे बाहर निकल रहे थे। ऐसे में मृतकों और घायलों में ज्यादातर छात्राएं शामिल हैं। 

माना जा रहा है कि इस कायरता पूर्ण हमले के पीछे आतंकियों का मकसद ही मासूम छात्राओं को टारगेट करने का था। खबर लिखे जाने तक किसी आतंकी संगठन ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इस खूनी हमले के बाद राजधानी में अफरातफरी का माहौल है। काबुल की गलियों में चीख-पुकार मची हुई है। अस्पतालों की हालत ये है कि वे मासूमों के शवों से पटे हुए हैं।

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गृह मंत्रालय के मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया की पहला धमाका विस्फोटकों से लदे एक वाहन से किया गया था। इसके बाद दो अन्य धमाके हुए। घटनास्थल पर स्थानीय मीडिया द्वारा ली गई तस्वीरें और वीडियो काफी विचलित करने वाली है। इसमें छात्राओं के खून से लथपथ किताब और बैग्स देखे जा सकते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धमाके के आवाज इतने तेज थे कि उनके कान बुरी तरह से प्रभावित हो गए और कई घंटों तक उन्हें कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। 

बताया जा रहा है कि जिस इलाके में यह हमला हुआ वहां अधिकांश शिया मुसलमान रहते हैं। यह इलाका अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों पर हमले के लिए कुख्यात रहा है और अक्सर यहां इस्लामिक स्टेट से संबंधित संगठनों और चरमपंथी सुन्नी मुस्लिम समूह के द्वारा किया जाता रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में हुए इस प्रकार के हमलों में यह सबसे ज्यादा निर्मम है। पिछले साल भी इसी इलाके में एक महिला अस्पताल के बाहर बम विस्फोट हुआ था। इस क्रूर हमले में कई गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु मारे गए थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने इस हमले के पीछे इस्लामिक संगठन को जिम्मेदार बताया है।