वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका पहुंचते ही भारत को वैश्विक स्तर पर बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। अमेरिका ने ऑकस गठबंधन में भारत की एंट्री पर रोक लगा दी है। व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने कहा है कि भारत और जापान को इस संधि में शामिल नहीं किया जाएगा। साकी ने ऐसे समय में यह बात कही है जब पीएम मोदी खुद क्वैड की बैठक के अमेरिका गए हुए हैं।

चीन के खिलाफ इस अहम वैश्विक मोर्चेबंदी में भारत को शामिल न करने का ऐलान, वह भी ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री भी वहां गए हुए हैं। यह अमेरिका द्वारा भारत के अपमान के तौर पर देखा जा रहा है। इस ऐलान के कुछ ही घंटों बाद पीएम मोदी अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मिलने वाले हैं।

दरअसल, बीते 15 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इंडो-पैसिफिक सुरक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ AUKUS सैन्य गठबंधन का संकेत दिया था। ऑकस को लेकर व्हाइट हाउस की ओर से अब कहा गया है कि यह सांकेतिक नहीं था। बल्कि राष्ट्रपति बाइडेन ने साफ तौर से फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को कहा दिया है कि इसमें किसी भी देश को शामिल नहीं किया जाएगा। खास बात ये है कि AUKUS संबंधी बयान के बाद फ्रांस ने इसकी आलोचना की थी।

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पीएम नरेंद्र मोदी ने भी फ्रांस की आपत्ति के बाद राष्ट्रपति मैक्रों से बातचीत की थी। जिसके बाद माना जा रहा था कि फ्रांस, जापान और भारत को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। हालांकि, अमेरिका के हालिया बयान ने साफ कर दिया है कि चीन के खिलाफ किसी कार्रवाई में वह भारत को शामिल करने के लायक नहीं समझता। बताया जा रहा है कि ऑकस समझौते के बाद अब ऑस्ट्रेलिया को परमाणु संचालित पनडुब्बियों का एक बड़ी खेप दी जाएगी ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के विस्तार को चुनौती दी जाए।

क्यों बनाया गया AUCKUS

यह गठबंधन मुख्य रूप से हिंद और प्रशांत महासागर में ड्रैगन की दादागिरी को रोकने के लिए बनाया गया है। चीन ने इसकी तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि ऐसे किसी गठबंधन का कोई भविष्य नहीं है। इस गठबंधन में भारत को शामिल नहीं किया जाना इसलिए कूटनीतिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र भारत से लगता है और चीन की सीमा भी भारत से लगती है। ऐसे में चीन को रोकने के लिए यदि वैश्विक शक्तियां गठजोड़ करती हैं तो भारत की उसमें स्वाभाविक दावेदारी सुनिश्चित होती है।

क्या है QUAD

क्वैड यानी क्वाडिलैटरल स्ट्रैटेजिक डायलॉग्स एक वैश्विक राजनीतिक व क्षेत्रीय संगठन है। इसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। कूटनीतिक तौर पर इस संगठन को भी चीन को दक्षिण चीन सागर में रोकने के लिए ही बनाया गया था। लेकिन अब इसी ध्येय के लिए अमेरिका ने एक दूसरा संगठन बना लिया जिसमें जापान और भारत को हटाकर ब्रिटेन को शामिल किया है। नया गठजोड़ बनने का मतलब साफ है कि अमेरिका अब क्वैड को तरजीह देना छोड़ देगा। हालांकि, भारत ने कहा है कि नए गठजोड़ से क्वैड पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि नया गठजोड़ इसीलिए बनाया गया है ताकि नए तरीके से काम किया जाए। खास बात ये है कि नए गठजोड़ का ऐलान भी तब हुआ है जब अमेरिका में क्वैड की बैठक पूर्व से प्रस्तावित थी। अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्वैड के होते ऑकस की जरूरत क्यों पड़ी?