भोपाल| शहर के ऐशबाग ब्रिज के 90 डिग्री एंगल विवाद के बाद अब राजधानी के सुभाष नगर आरओबी की डिजाइन को लेकर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। महज आठ घंटे के भीतर इस पुल पर दो हादसे हुए, जिनमें किसी की जान नहीं गई, लेकिन इन घटनाओं ने पुल की बनावट को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है। लगभग 40 करोड़ रुपये की लागत से बना यह ब्रिज दो साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन शुरुआत से ही इसकी सर्पाकार डिजाइन को लेकर शंकाएं जताई जा रही थीं, जो अब दुर्घटनाओं के रूप में सामने आ रही हैं।
इस पुल की बनावट सांप के आकार जैसी है, जो तेज रफ्तार वाहनों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। खासकर मोड़ के तुरंत बाद सड़क के बीच में उभरा डिवाइडर इतना खतरनाक है कि इससे टकराकर एक गाड़ी हवा में उछल गई और पलट गई, जबकि एक स्कूल वैन को भी इससे टक्कर लग गई। पुल की बनावट की वजह से वाहन चालकों को महज कुछ ही सेकंड में चार बार दिशा बदलनी पड़ती है। पहले दाएं, फिर बाएं, फिर दाएं और तुरंत ही बाएं जो किसी भी चालक के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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पुल से मैदा मिल से प्रभात पेट्रोल पंप या रेलवे स्टेशन जाना ट्रैफिक बचाव और समय की दृष्टि से लाभकारी जरूर है, लेकिन इसकी बनावट ही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है। विशेष रूप से रेलवे ट्रैक के ऊपर स्थित टर्न के बाद अचानक शुरू हो जाने वाला डिवाइडर, जिसकी ऊंचाई भी बेहद कम है, कई बार दिखाई ही नहीं देता, जिससे वाहन उससे टकरा जाते हैं। जिंसी चौराहे की तरफ से आने वाला ट्रैफिक जब पुल पर चढ़ने वाले ट्रैफिक से टकराता है तो सिग्नल की खराबी और तालमेल की कमी दुर्घटनाओं को न्योता देती है।
इस पुल की डिजाइन को लेकर विशेषज्ञ भी चिंतित हैं। स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में एमटेक कर चुके ब्रिज विशेषज्ञ प्रखर पगारिया ने स्पष्ट तौर पर कहा कि ऐसे सर्पाकार पुल नहीं बनाए जाने चाहिए। हालांकि कभी-कभी स्थान की कमी के चलते इस तरह के पुल बनाए जाते हैं, लेकिन इनमें उच्च स्तर की निगरानी जरूरी होती है। उनका कहना है कि कम समय में कई टर्न वाहन चालकों की प्रतिक्रिया की क्षमता को सीमित कर देते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होना तय है।
फिलहाल तो किसी की जान नहीं गई, लेकिन जिस तरह से इस पुल पर हादसे हो रहे हैं, उसे देखते हुए साफ है कि यदि जल्द इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। सरकार और प्रशासन को इसकी बनावट की समीक्षा कर जरूरी बदलाव करने की जरूरत है ताकि जान-माल का नुकसान रोका जा सके।