इंदौर। बीजेपी के कद्दावर नेता व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय इंदौर बल्लाकांड में बरी हो गए हैं। 2019 में आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम के अधिकारी की बैट से पिटाई की थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। हालांकि, कोर्ट में पुलिस वीडियो की सत्यता साबित नहीं कर पाई।
देशभर में वायरल वीडियो में साफ दिख रहा था कि आकाश विजयवर्गीय नगर निगम के भवन निरीक्षक को पीट रहे हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के बाद कई तरह के सवाल उठे थे। वहीं, जिस वीडियो को पूरी दुनिया ने देखा, उस वीडियो को पुलिस कोर्ट में साबित नहीं कर पाई। इस मामले में कुल 10 लोग आरोपी थे। इनमें से एक आरोपी मोनू कल्याणे की हत्या हो गई है। बाकी के सभी नौ लोग बरी हो गए हैं।
2019 में यह घटना तब घटी थी, जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की थी। पीड़ित अधिकारी धीरेंद्र बायस ने एमजी रोड थाने में 29 जून 2019 में इन सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। पुलिस ने मामले की जांच की और चार्जशीट दाखिल किया। 2022 में इस मामले में सुनवाई शुरू हुई जब भाजपा की सत्ता में वापसी हो गई।
इस केस में मुख्य गवाह पीड़ित अधिकारी धीरेंद्र बायस ही थे। बायस ने जब आकाश विजयवर्गीय के खिलाफ शिकायत की थी तो उस समय कांग्रेस की सरकार थी। 2020 में फिर से एमपी में बीजेपी की सरकार आ गई। इसके साथ ही पीड़ित अधिकारी धीरेंद्र बायस का मन भी बदल गया है। वह अपने बयान से पलट गए।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि मेरे पीछे कौन था, किसने मुझे बल्ला मारा, मैंने नहीं देखा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बल्ला मारने वाले आकाश तो नहीं थे। बायस का पलटना ही इस केस में सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट रहा है। इतना ही नहीं कोर्ट में आकाश विजयवर्गीय के वकील ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो एडिडेट है।
इस केस में पुलिस ने गवाह के रूप में कुछ प्रत्यक्षदर्शी भी तैयार किए थे। हालांकि, सुनवाई के दौरान सभी लोग कोर्ट में जाकर मुकर गए। किसी ने नहीं कहा कि हमने आकाश विजयवर्गीय को बल्ला मारते हुए देखा है। इसके बाद गवाह के रूप में कोई नहीं बचा। पुलिस कोर्ट में यह भी साबित नहीं कर पाई कि वीडियो सही है। इन तीन टर्निंग प्वाइंट ने केस को कमजोर कर दिया। इसका फायदा आकाश विजयवर्गीय को मिल गया। वह मामले में बरी हो गए हैं।