भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान शुरू कर दिए हैं। बीजेपी ने 136 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और कांग्रेस भी जल्द ही अपने प्रत्याशियों का ऐलान करने वाली है। इस बीच मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में सक्रिय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। पहली सूची में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपने 21 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।

GGP ने प्रत्याशियों के पहली सूची में जिन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, उनमें अमरवाड़ा से संतलाल परतेती, चौरई से पवनशाह सरयाम, परासिया से संतोषी डेहरिया, पांढुर्णा से वासुदेव कुमरे, सौसर सीट से देवदास परतेती, जुन्नारदेव सीट से झमकलाल सरयाम, गाडरवाड़ा से मोहन लाल धुर्वे, गोटेगांव सीट से अनिल झारिया, नरसिंहपुर सीट से मुकेश भलावी शामिल हैं।

इसके अलावा पार्टी ने सांची सीट से रामकृष्ण पूर्वो, खातेगांव से अशोक इवने, बुधनी से सुमेर सिंह उइके, सीहोर से किशोर भारती, कालापीपल सीट से विष्णु सिंह पुरविया, हुजूर सीट से मुरली सिंह जाटव, नरेला से भुजबल सिंह, लखनादौन सीट से सुखदेव पन्द्रे, आमला सीट से राकेश म्हाले, मुलताई से आरती कंगाले, जबलपुर पश्चिम से दीपेश ध्रुवे को टिकट मिला है।

बता दें कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में सक्रिय है। इन इलाकों में इस पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े करके कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। अभी तो पहली सूची आई है, जिसमें जीपीपी ने 21 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। वहीं अन्य सीटों पर भी पार्टी अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। मध्य प्रदेश में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं और 47 सीटे पूरी तरह से आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैl।k GT 5 गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इन सभी सीटों पर बसपा के साथ गठबंधन बनाकर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है। ऐसे में इन सीटों पर आदिवासी वोटों का बंटना तय माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) का चुनावी गठबंधन भी हो गया है। इसके बाद दोनों ही पार्टियों के बीच सीटों को लेकर सहमति भी बन गई है। सीट शेयरिंग के बाद बसपा 178 और गोंगपा 52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चुनावी साल में मध्यप्रदेश की राजनीति में ये पहला गठबंधन है। इस गठबंधन के जरिए 21 प्रतिशत आदिवासी और 16 फीसदी दलित वोटों पर सेंध लगाने की कोशिश की जा रही है।