हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा में हुए ब्लास्ट ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। इस भयंकर विस्फोट ने दर्जनों लोगों की जान ले ली है, वहीं 200 से अधिक लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया है। हादसे के अगले दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी घटनास्थल का मुआयना करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सैंकड़ों मजदूर अब भी मलबे में दबे हैं और राज्य सरकार शवों को वहीं दफनाना चाहती है।





हरदा पहुंचे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी मानपुरा जाकर मृतकों के परिवार वालों से मिले। साथ ही अस्पतालों में जाकर घायलों का भी हाल जाना। हादसे को लेकर पटवारी ने सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन की लापरवाही बताई और मलबे में सैकड़ों मजदूरों के दबे होने का दावा किया है। पीसीसी चीफ ने कहा कि जब मैं घटनास्थल पर पहुंचा और कलेक्टर से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने मुझे पहले फैक्ट्री के भीतर भिजवाया, जब मैं बाहर निकला तो कलेक्टर और एसपी वहां से गायब हो गए।



पटवारी ने कहा कि इतना बड़ा हादसा हुआ और रेस्क्यू ऑपरेशन से कलेक्टर, एसपी का गायब हो जाना अपने आप में सरकार की उदासीनता को जगजाहिर करता है। उन्होंने कहा कि ढ़ाई एकड़ जमीन में बनी दो मंजिला इमारत में जब विस्फोट हुआ तो उसने पूरी इमारत को दबा दिया, लोहा तक पिघल गया तो इंसान क्या चीज है। ऐसे में जिस तरह रेस्क्यू चल रहा है, उससे प्रतीत होता है कि प्रशासन अर्थवर्क का काम कर रहा है। शवों को मिट्टी में मिलाया जा रहा है। मैंने घायलों और प्रत्यक्षदर्शियों से बात की है, उस हिसाब से वहां 100 से ज्यादा लोग दबे हुए हैं।





पटवारी ने कहा कि ये सरकारी हत्याएं नहीं हैं तो और क्या है? पेटलावद में भी ऐसा हुआ था। अपराध को छिपाना भयावह और निंदनीय कृत्य है। राज्य सरकार हादसे की जांच के लिए एसआईटी गठित करे। लापता लोगों की संख्या बताए। सरकार बताए की लापता लोगों को जीवित या मृत उनको किस कैटेगरी में डालेंगे? उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मृतकों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपए और परिवार में एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिले। साथ ही घायलों को 10-10 लाख रुपए मिलें। ये पैसे ईमानदारी से दिए जाएं। इसके अलावा फैक्ट्री मालिक और संबंधित अधिकारियों पर 302 का मुकदमा चले, जिन्होंने अवैध फैक्ट्री चलाने में मदद की। मुख्यमंत्री प्रदेश से क्षमा मांगें। फैक्ट्री मालिक को संरक्षण देने वाले पूर्व मंत्री पर भी गाज गिरे। सिर्फ अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं करें।