भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मध्य प्रदेश का अगला सीएम बनने की भविष्यवाणी कर दी गई है। ग्वालियर में जैन मुनि ने सिंधिया के सामने ही उनके प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनने की बात कह दी। इतना सुनने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हाथ जोड़ लिए। कांग्रेस पार्टी ने जैन मुनि की इस भविष्यवाणी के बाद सीएम शिवराज और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा है। 



सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें जैन मुनि विहर्ष सागर महाराज यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि हमारे सिंधिया जी, अभी देखना कुछ ही दिनों में यहां के सीएम के रूप में भी दिख सकते हैं। जैन मुनि के इतना बोलने पर ही सिंधिया समर्थकों ने ताली बजाना शुरू कर दिया। 



जिस वक्त जैन मुनि ने यह बात बोली, उस वक्त खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी वहीं मौजूद थे। जैन मुनि के इतना बोलने पर उन्होंने भी अपने हाथ जोड़ लिए। सिंधिया के हाथ जोड़े जाने को उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से भी जोड़ कर देखा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने भी सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा है कि बीच बीच में श्रीमंत जी की महत्वकांक्षा बाहर आ ही जाती है। 



कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ग्वालियर में आयोजित पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव में श्रीमंत के अगले मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी हुई और श्रीमंत समर्थकों ने तालियाँ बजाकर नारेबाज़ी की।श्रीमंत ने मुस्कुराहट के साथ इस भविष्यवाणी पर अपनी रज़ामंदी दी।श्रीमंत की महत्वाकांक्षा सामने आती जा रही है। 





नरेंद्र सलूजा ने चुटकी लेते हुए कहा कि अब देखना होगा कि इस भविष्यवाणी के बाद शिवराज जी का अगला वार क्या होगा, पिछली बार तो के.पी.यादव की चिट्ठी का खुलासा हुआ था। सलूजा ने आगे कहा कि वैसे बता दें कि कुंडलपुर का आशीर्वाद कमलनाथ जी को प्राप्त है। 



नरेंद्र सलूजा ने वायरल वीडियो को साझा करते हुए सीएम शिवराज पर निशाना भी साधा। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हमारा मध्यप्रदेश अन्य राज्यों के मुक़ाबले अभी बहुत पीछे है , श्रीमंत प्रदेश को चमकायेंगे।जबकि पिछले 17 वर्ष से प्रदेश में भाजपा की सरकार है ,श्रीमंत इस सच्चाई को सुनते रहे।जबकि शिवराजजी के सामने तो श्रीमंत कहते है कि वो प्रदेश को अन्य राज्यों के मुक़ाबले ख़ूब आगे ले गये है।





मध्य प्रदेश में 2018 विधानसभा चुनावों के परिणामों में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल कर अपनी सरकार बनाई। लेकिन ठीक पंद्रह महीने के भीतर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार गिरा दी। बीजेपी की चोर दरवाजे से सरकार बनाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई। 



ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से राह अलग करने की वजह उन्हें मुख्यमंत्री न बनाया जाना माना गया। बीच बीच में यह खुलासे भी होते रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया निर्वाचित विधायकों की पहली पसंद नहीं थे। मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनके समर्थन में सिर्फ 18 विधायक ही थे। जिसके बाद कमल नाथ का मुख्यमंत्री तय हो गया था। 



2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया अपनी पारंपरिक सीट गुना भी नहीं बचा पाए। किसी समय अपने समर्थक रहे केपी यादव से ही बड़े अंतर से हार गए। चुनाव में मिली हार के बाद से ही सिंधिया ने बीजेपी के समर्थन में बोलना शुरू कर दिया था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सिंधिया खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन करते नज़र आए थे। इसके बाद फरवरी 2020 में उन्होंने कमल नाथ सरकार के खिलाफ ही सड़क पर उतरने की धमकी भी दी थी।



मार्च 2020 में अचानक ही सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और प्रदेश की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार गिरा दी गई। बदले में सिंधिया समर्थकों को मंत्री पद मिला, खुद सिंधिया राज्यसभा पहुंचे और अंत में मोदी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद भी मिल गया।