कोरोना संकट चुनौती को अवसर में बदलने का वक्त है। यह दावा करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने आज प्रदेश के श्रम कानूनों में कई परिवर्तन करने का ऐलान किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में विशेष तौर पर छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिले। रोजगार के नए अवसर मिलें, प्रदेश की आर्थिक गति तेजी से आगे बढ़े। इसके लिए यह सुधार किये जा रहे हैं। इनमे से जो मध्य प्रदेश सरकार के अंतर्गत हैं उन्हें तुरंत लागू किया जा रहा है और कुछ विषय केंद्र सरकार के अधीन हैं इसलिए उनमें  सुधार के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किये हैं ये बड़े ऐलान 

  • उद्योग के लिए पंजीयन , लाइसेंस अब  एक दिन में , पहले 30 दिन में होता था 
  • एक दिन में पंजीयन न करने पर सम्बंधित अधिकारी को देने होगा जुर्माना 
  • कारखाना/ फैक्ट्री लाइसेंस अब एक साल की बजाय 10 साल में रिन्यूअल होगा 
  • ठेका श्रम अधिनियम के अंतर्गत, कैलेंडर वर्ष की बजाय पूरी ठेका अवधि के लिए 
  • नए कारखानों का लाइसेंस ऑनलाइन जारी होगा 
  • दुकानें सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक दुकानें खुल सकेंगी 
  • कारखानों में 61 रजिस्टर और 13 रिटर्न दाखिल करने की बजाय 1 रजिस्टर और 1 रिटर्न व्यवस्था, 
  • कारखानों का थर्ड पार्टी निरीक्षण हो सकेगा 
  • 50 से कम मजदूरों वाली संस्थाओं को निरीक्षण से बाहर , किसी शिकायत के आधार पर ही निरीक्षण होगा।
  • मध्य प्रदेश औद्योगिक संबंध के कानूनों को शिथिल किया जा रहा है 
  • ट्रेड यूनियन और कारखाना प्रबंधक मिलकर विवादों का निपटारा कर सकेंगे , लेबर कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा 
  • प्रदेश में नए उद्योगों को आमंत्रित करने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 को छोड़कर सभी प्रावधानों को शिथिल कर दिया 
  • उद्योग मालिक अपनी पसंद से श्रमिकों का चयन कर सकेंगे 
  • 100 से कम श्रमिकों वाले उद्योग को  औद्योगिक नियोजन अधिनियम के पालन में शिथिलता 

मध्य प्रदेश सरकार के इन संशोधनों के बाद प्रदेश में उद्योगों को कितना फायदा मिलता है ये तो बाद में पता चलेगा , लेकिन श्रम कानून कमजोर होने से कहीं मजदूर/ श्रमिक शोषण के शिकार न होने लगें यह सवाल भी उठे हैं।