भोपाल। मध्य प्रदेश के धार ज़िले में दो साल पहले कोरोना के कारण मृत घोषित किया गया युवक अचानक अपने घर वापस लौट आया। अस्पताल ने परिजनों के सामने युवक का अंतिम संस्कार भी कर दिया था लेकिन उसे वापस घर लौटता देख परिजनों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। युवक ने परिजनों को बताया कि वह पिछले दो साल से किसी गिरोह की कैद में था। 

धार ज़िले के कानवन थाना क्षेत्र स्थित ककड़कलां गांव का रहने वाला कमलेश शुक्रवार शाम को अचानक सरदारपुर थाना क्षेत्र स्थित बड़वेली गांव में अपने मामा के घर पहुंच गया। कमलेश को ज़िंदा देख कमलेश के ननिहाल में पहले तो किसी को भरोसा नहीं हुआ। हालांकि भरोसा होने के बाद कमलेश के परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 

कमलेश की मृत्यु का विश्वास करने के बाद उसके पिता गेंदालाल पिछले दो वर्षों से सदमे में जी रहे थे। कमलेश की पत्नी एक विधवा के रूप में अपना जीवन गुज़र बसर रही थी। कमलेश के ज़िंदा होने की सूचना मिलने पर उसके पिता को भी विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने वीडियो कॉल पर जब कमलेश से बात की तब जाकर उन्हें अपने बेटे के ज़िंदा होने का भरोसा हुआ। 

कमलेश ने परिजनों को बताया कि उसे गुंडों के एक गिरोह ने कैद कर के रखा हुआ था। गिरोह के बदमाश उसे एक दिन छोड़कर नशीले पदार्थ का इंजेक्शन दिया करते थे। शुक्रवार को वह उसे चार पहिया वाहन में अहमदाबाद से कहीं ले जा रहे थे। बीच में ही बदमाशों ने अपनी गाड़ी रोकी और एक होटल पर खाना खाने लगे। 

इसी बीच कमलेश ने अहमदाबाद से इंदौर जाने वाली बस को आते हुए देखा। मौका पाकर कमलेश चार पहिया वाहन से बाहर निकल आया और बस में चढ़कर इंदौर पहुंच गया। जिसके बाद वह धार स्थित अपने ननिहाल पहुंच गया। 

कमलेश 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण से पीड़ित हो गया था। बड़ौदा के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। लेकिन इलाज के दौरान अस्पताल वालों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। कोरोना शव होने के कारण परिजनों को दूर से उसका शव दिखाया गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालांकि उस दौरान भी परिजन उसके शव की पुष्टि नहीं कर पाए थे लेकिन पॉलिथिन में लिपटे हुए शव को पहचानना भी संभव नहीं था। हालांकि अब परिवार के गमगीन चेहरों पर तो खुशियां लौट आई हैं लेकिन कमलेश का घटनाक्रम गुजरात में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था का सबसे बड़ा उदाहरण भी है।