काठमांडू। नेपाल में प्रदर्शनों के बीच हिंसा की डरावनी तस्वीरें सामने आ रही है। प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ देश के पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर पर हमला बोला और आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा यहीं नहीं शांत हुआ। उन्होंने पूर्व पीएम झालानाथ की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार को जिंदा जला दिया। इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

यह घटना दल्लू स्थित उनके आवास पर हुई, जहां प्रदर्शनकारियों ने उन्हें घर के अंदर घेरकर आग लगा दी। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, उन्हें गंभीर हालत में कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया था। यहां पर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है। झालानाथ खनाल नेपाल के 35वें प्रधानमंत्री रह चुके हैं और फरवरी 2011 से अगस्‍त 2011 तक उन्‍होंने इस पद की जिम्‍मेदारी संभाली। वह नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के चेयरमैन भी रहे हैं और सीपीएन की संविधान सभा संसदीय दल के नेता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं।

प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा को उनके घर में घुसकर पीटा, जबकि वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को काठमांडू में उनके घर के पास दौड़ा-दौड़ाकर मारा गया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक प्रदर्शनकारी उनके सीने पर लात मारते हुए दिख रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने काठमांडू के डीएसपी की भी पीट-पीटकर हत्या कर दी। आरोप है कि उन्होंने ही सोमवार को फायरिंग के आदेश दिए थे। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने नेपाली समाचार पत्र कांतिपुर के ऑफिस में आग लगा दी।

देश में जारी हिंसा और पीएम ओली के इस्तीफे के बाद अब सेना ने कमान संभाल लिया है। नेपाल की सेना ने कहा कि देश की आजादी, एकता और लोगों की जान-माल की रक्षा हम हमेशा करते रहेंगे, चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों। जेन जेड के आंदोलन की घटनाओं पर सेना नजर रख रही है। आंदोलन में लोगों और संपत्ति को हुए भारी नुकसान पर सेना को बहुत दुख है। मरने वालों की आत्मा को शांति मिले, इसके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। उनके परिवारों को सेना की संवेदना है। घायलों के जल्द ठीक होने की भी कामना है।

सेना ने आगे कहा कि नेपाल और लोगों की भलाई के लिए हम हमेशा तैयार हैं। हम जान-माल की पूरी हिफाजत करेंगे। इस मुश्किल समय में देश की पुरानी, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चीजों को बचाना सबका फर्ज है। इसलिए, सेना ने युवाओं और सारे देशवासियों से गुजारिश की है कि आपसी भाईचारा और एकता बनाए रखें।

उधर, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के चेयरमैन रबि लामिछाने की रिहाई के बाद ललितपुर के नक्खू जेल से सभी कैदी बाहर निकल गए। इस जेल में लगभग 1500 कैदी बंद थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लामिछाने की रिहाई के बाद पुलिस ने यहां अपनी सुरक्षा चौकियों से हटने का फैसला किया, जिससे कैदियों को निकलने का मौका मिला गया। इससे इलाके में सुरक्षा खतरे की चिंता बढ़ गई है। अधिकारी हालात पर नजर रख रहे हैं। इतने सारे कैदियों के बाहर आने से जनता की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है।