भोपाल। मध्य प्रदेश में इस साल जांच के दौरान छह दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इन दवाओं में बच्चों को दी जाने वाली पेरासिटामोल ड्रॉप्स, मल्टीविटामिन और कुछ एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हैं। यह जानकारी राज्य के पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरेशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट से सामने आई है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों से इन दवाओं के नमूने एकत्र किए थे और उन्हें राज्य की सरकारी ड्रग टेस्टिंग लैब में जांच के लिए भेजा गया था। जांच में पाया गया कि ये दवाएं मानक के अनुसार असरदार नहीं थीं और इनमें से कुछ में तय मात्रा में जरूरी तत्व भी नहीं पाए गए।
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इन दवाओं का इस्तेमाल बच्चों और बुजुर्गों के इलाज में किया जा रहा था, जिससे मरीजों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता था। विभाग ने घटिया पाई गई दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए हैं और संबंधित दवा कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
इनमें मिर्गी के उपचार में उपयोग होने वाली टैबलेट लैवेसेटम 500 एमजी, विटामिन- सी और मल्टीविटामिन की टैबलेट हैं। इसके पहले आईवी फ्लूड भी अमानक मिला था। बड़ी बात यह है कि इन दवाओं की आपूर्ति के साथ कंपनियां अपनी लैब के साथ ही राज्य सरकार द्वारा चिह्नित थर्ड पार्टी लैब से भी सभी दवाओं के प्रत्येक बैच के सैंपल की गुणवत्तायुक्त जांच रिपोर्ट भेजती हैं। यानी वही दवा निजी लैबों में मानक और शासकीय लैबों में अमानक मिलती है।