भोपाल। दल-बदलुओं के दम पर हासिल सत्ता को बचाए रखने की कोशिश में और क्या-क्या करेंगे शिवराज सिंह चौहान। सांवेर की रैली में सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज ने कांग्रेस से भागकर बीजेपी में आए तुलसी सिलावट को वोट दिलाने के लिए जो-जो हरकतें कीं, उन्हें देखकर मध्य प्रदेश के मतदाताओं के मन में यह सवाल ज़रूर उठ रहा होगा। 

दरअसल, सांवेर की रैली में शिवराज सिंह चौहान तुलसी सिलावट के लिए वोट मांगते-मांगते घुटनों के बल आ गए। इतना ही नहीं, सभा में मौजूद लोगों को हाथों में सुपारी थमाकर यह कसम भी दिलाई गई कि वे सिलावट के पक्ष में ही मतदान करेंगे। इतना ही नहीं, इस दौरान वहां मंत्रोच्चार भी होता रहा, जैसे यह कोई चुनावी सभा नहीं, धार्मिक अनुष्ठान हो। 



वोट के लिए हर हथकंडा आजमाने की शिवराज सिंह चौहान की इन हरकतों ने कांग्रेस नेताओं को तंज़ करने का पूरा मौका दे दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा," यदि नेता जनता को झूठे सपने, झूठे सब्ज़बाग़ ना दिखाये, झूठी घोषणाएँ ना करे, झूठे चुनावी नारियल ना फोड़े, जनता से किये अपने हर वादे को वचन समझ पूरा करे, जनता को झूठे- लच्छेदार भाषण परोसकर मूर्ख ना समझे, अपनी सत्ता लोलुपता के लिये सौदेबाज़ी से जनादेश का अपमान कर राजनीति को कलंकित ना करे, जनहित उसके लिये सदैव सर्वोपरि हो तो जनता उसे हमेशा सर आँखो पर बैठाती है, अपने सर का ताज बनाती है, उसको घुटने टेकने की कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ती है।" 



 





 



वहीं कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने चुटकी लेते हुए कहा कि अभी से घुटने टेक दिए, 10 नवंबर ( नतीजे का दिन ) का इंतज़ार तो कर लेते।



 





 



कांग्रेस के एक और नेता केके मिश्रा ने ट्विटर पर लिखा कि कमलनाथ के 15 महीने के कार्यकाल ने 15 साल के मुख्यमंत्री को घुटनों पर ला दिया। इसे ही हकीकत और आडंबर का अंतर कहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लगता है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अंदर प्रद्युम्न सिंह तोमर की आत्मा प्रवेश कर गई है।



बीजेपी की सांवेर की रैली में लोगों को जिस तरह मंत्रोच्चार के बीच हाथों में सुपारी थमाकर सिलावट को वोट देने की कसम दिलाई गई, वह वोट के लिए धार्मिक हथकंडों का सहारा लेने का पहला मामला नहीं है। सिलावट पर चुनाव अभियान में धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करने के आरोप लगातार लगते रहे हैं। तुलसी सिलावट के प्रचार में इस तरह के हथकंडे अपनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस चुनाव आयोग से शिकायत भी कर चुकी है।



बहरहाल, इन तमाम हथकंडों के बावजूद बीजेपी के लिए असल चुनौती तो मतदाताओं के मन में उठते इस सवाल का जवाब देना है कि जिन दलबदलुओं ने पिछले चुनाव में मतदाताओं से शिवराज सिंह के 15 साल के शासन को खत्म करने के नाम पर वोट मांगे, वही अब शिवराज की जोड़तोड़ से बनी सरकार बचाने की गुहार लगा रहे है तो उन पर कोई क्यों भरोसा करे?