नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को आज एक महीना पूरा हो गया है। आंदोलनकारी किसानों का लिखित जवाब मिलने के महज 24 घंटे के भीतर ही सरकार ने वार्ता के लिए नया न्योता भेज दिया। किसानों ने सरकार के नए पत्र पर मंथन के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक भी बुलाई है। लेकिन एमएसपी पर सरकारी रुख से किसान असंतुष्ट हैं। किसान नेताओं के अब तक सामने आए बयानों को देखते हुए फिलहाल सरकार की नई चिट्ठी से कोई नया रास्ता निकलने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।

कई जगहों पर काटी गई जिओ टावर्स की बिजली

किसानों को सरकार के प्रस्तावों पर भरोसा नहीं है। इसलिए किसानों ने नई रणनीति के तहत कॉरपोरेट्स को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। मांगें पूरी न होता देख प्रदर्शनकारी किसान अलग-अलग तरह से आंदोलन को तेज करने में जुटे हैं। अदाणी और अंबानी समूह के कारोबार भी किसानों के निशाने पर हैं। इसी वजह से किसानों ने पहले जिओ के मोबाइल कनेक्शन पोर्ट कराने की मुहिम छेड़ी और अब उसके मोबाइल टावर्स की बिजली रोकने का काम कर रहे हैं। किसानों ने मलोट, संगरूर, फिरोजपुर, मोगा, पट्‌टी, छेहरटा समेत कई जगहों पर गुरुवार को रिलायंस जिओ के टावरों के बिजली कनेक्शन काट दिए। हरियाणा में सिरसा के गांव गदराना में भी टावर की बिजली काटी गई। किसानों के भारी विरोध के कारण पुलिस मौके पर पहुंचकर भी बिजली कनेक्शन बहाल नहीं करा पाई। किसानों ने विरोध तेज करने के फैसले के तहत आज से अगले तीन दिनों तक हरियाणा के सभी टोल्स को फ्री करने का एलान भी किया है।

केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को किसानों को लिखी गई चिट्ठी में गया है कि किसान संगठन बातचीत के लिए तारीख और समय बताएं। सरकार ने इसमें दावा किया है कि तीनों कृषि कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके लिए सरकार लिखित आश्वासन भी देने को तैयार है लेकिन इस बारे में कृषि कानूनों से अलग नई मांग रखना ठीक नहीं है। बीते 8 दिनों में सरकार की ओर से किसान संगठनों को यह तीसरी चिट्ठी लिखी गई है। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मीडिया से कहा कि सरकार अभी भी गोलमोल बातें कर हमें उलझा रही है। वह किसानों को दो फाड़ करने के लिए अलग-अलग मीटिंग करना चाहती है, जो हमें मंजूर नहीं। कोई ठोस फैसला न होने पर देशभर में आंदोलन और तेज किया जाएगा।  

किसानों ने पूछा एमएसपी को कानूनी गारंटी देने से क्यों हिचक रही है सरकार

किसान संगठन के नेताओं ने कहा कि आखिरी फैसला वैसे तो संयुक्त मोर्चा की बैठक में होगा, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए इस पत्र में भी कुछ भी नया और ठोस नहीं है। एमएसपी पर सरकार लिखित गारंटी की बात तो करती है, लेकिन कानूनी गारंटी की हमारी मांग को तर्कसंगत नहीं बताती। तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी की कानूनी गारंटी को मुद्दा बनाते हुए अब संयुक्त किसान मोर्चा बाकी किसी भी प्रस्ताव को दो टूक ना कहने का मन बना चुका है। 

अमेरिका के सांसदों ने भी लिखी चिट्ठी

ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका के सांसदों ने भी इस आंदोलन को लेकर पहल की शुरुआत की है। अमेरिका के 7 सांसदों ने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को लेटर लिखा है। इनमें भारतीय मूल की प्रमिला जयपाल भी शामिल हैं। पत्र में पोम्पियो से अपील की गई है कि वे किसान आंदोलन के मुद्दे पर भारत सरकार से बातचीत करें। चिट्ठी में लिखा गया है कि किसान आंदोलन की वजह से कई भारतीय-अमेरिकी प्रभावित हो रहे हैं। उनके रिश्तेदार पंजाब या भारत के दूसरे राज्यों में रहते हैं। इसलिए आप भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने यह मुद्दा उठाएं। इससे पहले ब्रिटेन की संसद में भी यह मुद्दा उठाया गया था।