चेन्नई। तमिलनाडु में एक दलित सांसद पर मनुस्मृति में महिलाओं के चित्रण को लेकर टिप्पणी करने को लेकर मामला दर्ज हो गया है। राज्य में अभी AIADMK की सरकार है, जो बीजेपी की करीबी मानी जाती है। दलित सांसद थोल थिरुमावलवन VKC पार्टी के मुखिया हैं, जो राज्य में DMK का सहयोगी दल है। बीजेपी ने दलित सांसद की टिप्पणी को महिला विरोधी बताया है और सांसद से माफी मांगने की बात कही है। बीजेपी की ही शिकायत पर चेन्नई में थिरुमावलवन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। 

हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं खुशबू सुंदर ने कहा कि थिरुमावलवन ने एक समुदाय की महिलाओं का अपमान किया है और उन्हें माफी मांगनी चाहिए। दूसरी तरफ थिरुमावलवन ने कहा कि उनके बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया जा रहा है और उन्होंने सिर्फ मनुस्मृति में कही गई बात को उद्धृत करते हुए उसकी आलोचना की थी। वहीं उनकी पार्टी वीकेसी ने भी उनके खिलाफ कार्रवाई का विरोध किया है और कहा है कि पार्टी मनुस्मृति पर प्रतिबंध लगाने के लिए पूरे राज्य में प्रदर्शन करेगी। 

दरअसल, थिरुमावलवन ने यह बयान सितंबर में पेरियार पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया था। उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति में कहा गया है कि ईश्वर ने महिलाओं को सबसे पहले वेश्या के रूप में बनाया है। तमिलनाडु में जाति विरोधी और ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन का इतिहास रहा है और इन आंदोलनों को उरूज पर ले जाने के लिए पेरियार को आदर्श के तौर पर देखा जाता है। संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर ने भी मनुस्मृति को दलित और महिला विरोधी बताया था। हिंदू धर्म और समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल पेश किए थे, जिनका तब भी इसी तरह की ताकतों ने विरोध किया था। 

थिरुमावलवन ने अपने बचाव में कहा कि उनके बयान को महिलाओं के खिलाफ बनाकर पेश किया जा रहा है जबकि उनकी पार्टी महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ती रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी और डीएमके के बीच फूट डालने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

दूसरी तरफ डीएमके और एमडीएमके और सीपीएम ने भी थिरुमावलवन का समर्थन किया है। एमडीएमके के मुखिया वाइको और सीपीएम के पॉलित ब्यूरो सदस्य जी रामकृष्णन ने थिरुमावलवन के खिलाफ दर्ज मामले को झूठा बताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। इस बीच डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा है कि पुलिस को उन कट्टरपंथियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए, जिन्होंने दलित सांसद के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया। उन्होंने कहा कि एआईएडीएमके सरकार द्वारा थिरुमावलवन के खिलाफ कार्रवाई पुलिस के पूर्वाग्रह भरे रवैये को दर्शाता है। 

वहीं सीपीआई एमएल की पॉलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन का कहना है कि मनुस्मृति का सार यह नहीं है कि वह महिलाओं की वेश्या मानती है। बल्कि यह है कि मनुस्मृति महिलाओं को मां, बेटी, बहन और पत्नी मानती है, जिन्हें पिता, पुत्र, भाई और पति द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति यह आदेश देती है कि महिलाओं को स्वतंत्र मनुष्य ना माना जाए।