गुना। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह गुना जिले के दौरे पर हैं। शनिवार को उन्होंने विभिन्न मंडियों और खाद वितरण केंद्रों का निरीक्षण कर किसानों से बातचीत की। गुना के नानाखेड़ी मंडी में खाद वितरण केंद्र के निरीक्षण के दौरान लापरवाह अधिकारियों को पूर्व मुख्यमंत्री ने फटकार भी लगाई।
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह शुक्रवार देर रात गुना पहुंचे थे। शनिवार सुबह सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद वह नानाखेड़ी मंडी पहुंचे। यहां परिसर में स्थित खाद के डबल लॉक वितरण केंद्र पर पहुंचकर किसानों से चर्चा की। सबसे पहले उन्होंने प्रशासन द्वारा बनाई गई खाद वितरण व्यवस्था के बारे में जानकारी ली।
इस दौरान वहां सिर्फ उप संचालक कृषि विभाग मौजूद थे। न तो वितरण केंद्र के प्रभारी आए थे और न ही डिप्टी रजिस्ट्रार कॉपरेटिव सोसाइटी आए थे। दिग्विजय सिंह ने पूछा कि DR कौन हैं, तो कृषि अधिकारी ने कहा कि वो अभी आए नहीं हैं। फिर उन्होंने वितरण केंद्र के प्रभारी के बारे में पूछा, तो पता चला कि वो भी अभी तक नहीं आए। इस बात पर दिग्विजय सिंह ने लापरवाही पर फटकार भी लगाई।
उन्होंने कहा कि मैं जब आ रहा हूं तो आपको तो मालूम होना चाहिए न। क्या जवाबदारी है आपकी। क्या आपके DMO साहब को नहीं आना चाहिए। तो कहां हैं वो। DR से कम से कम हमारी तरफ से प्रार्थना कर दीजिए कि 11:30 बजे कलेक्टर से मेरी मीटिंग है। वे कम से कम वहां समय से आ जाएं। इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद किसानों से उनकी समस्याएं सुनीं। अधिकारियों को वहीं समस्याओं से अवगत कराया।
पूर्व CM ने कृषि उपज मंडी के कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने सहकारिता आंदोलन को खत्म कर दिया है। जब मैं मुख्यमंत्री था, तो 100 प्रतिशत खाद का वितरण सोसाइटी से होता था। कोई समस्या नहीं आती थी। न ही किसानों को पुलिस की लाठियां खानी पड़ती थीं। अब केवल 40 प्रतिशत खाद सोसाइटी पर भेजा जा रहा है। जो किसान वहां ड्यू हैं, उन्हें खाते से खाद देना चाहिए, लेकिन उन्हें भी कैश में खाद दिया जा रहा है। यह गलत है।
उन्होंने कहा कि निजी विक्रेता किसानों को खाद के साथ नैनो यूरिया और दूसरी चीजें भी दे रहे हैं, जबकि 2022 में ही कृषि मंत्रालय इसे गलत बता चुका है। कृषि विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि खाद के साथ दूसरी चीज नहीं दी जानी चाहिए, पर निजी विक्रेता ऐसा कर रहे हैं। इस वजह से 1200 रुपए की खाद किसानों को दो हजार रुपए तक पद रहा है और उनकी लागत बढ़ रही है।