चेन्नई। राज्यों में लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर शनिवार को 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी CM की बैठक चेन्नई में हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने ये मीटिंग बुलाई, जिसमें 5 राज्यों के 14 नेता शामिल हुए। इससे पहले RSS ने भी DMK के रुख का समर्थन करते हुए केंद्र को इस मामले पर विचार करने का सुझाव दिया है।
दरअसल, बेंगलुरु में आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वार्षिक बैठक, प्रतिनिधि सभा के पहले दिन शुक्रवार को भाषा और परिसीमन का मुद्दा उठा। उद्घाटन सत्र में, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि उत्तर-दक्षिण विभाजन की चर्चा 'राजनीति से प्रेरित' थी। आरएसएस के संयुक्त महासचिव सीआर मुकुंदन ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि कुछ ताकतें परिसीमन और भाषा विवाद का मुद्दा उठाकर 'राष्ट्रीय एकता को चुनौती' दे रही हैं।
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परिसीमन के बारे में पूछे जाने पर, मुकुंदन ने सुझाव दिया कि परिसीमन के बाद भी 'दक्षिणी राज्यों का लोकसभा में अनुपात वही रहेगा'। मुकुंदन ने कहा कि देश के लिए आपस में झगड़ना अच्छा नहीं है। सभी को न्याय मिलना चाहिए और संघ इसके लिए है। भाषा के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस ने हमेशा यह माना है कि सभी काम मातृभाषा में किए जाने चाहिए। मुकुंदन ने कहा कि हमें सभी को कई भाषाएं सीखनी होंगी... एक मातृभाषा है, दूसरी क्षेत्रीय भाषा हो सकती है। वहीं, मोहन भागवत ने सुझाव दिया कि हिंदी भाषी राज्यों के संघ कार्यकर्ताओं को पूर्वोत्तर या दक्षिणी भाषा सीखनी चाहिए।
उधर, चेन्नई में आयोजित राज्यों की बैठक में तमिलनाडु के CM स्टालिन ने कहा कि परिसीमन के मुद्दे पर हमें एकजुट रहना होगा। संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम नहीं होना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि हमें एक जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनानी चाहिए। यह लोगों में जागरूकता पैदा करे और केंद्र तक अपनी बात पहुंचाएगी। हमें कानूनी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक्सपर्ट्स पैनल बनाने की जरूरत है। हमें इस राजनीतिक लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कानूनी पहलुओं पर भी विचार करना होगा।
बैठक में तमिलनाडु के CM एम के स्टालिन, केरल के CM पिनाराई विजयन, तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष भक्त चरण दास और बीजू जनता दल के नेता संजय कुमार दास बर्मा सहित कई नेता शामिल हुए।