सोनीपत। हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तार किया गया है। उनकी गिरफ्तारी सोशल मीडिया पर भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर की गई टिप्पणियों के कारण हुई है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि कई दक्षिणपंथी लोग महिला सैन्य अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन वही लोग देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत, मॉब लिंचिंग, और घरों के अवैध ढहाए जाने पर चुप रहते हैं।

प्रोफेसर अली खान ने आगे लिखा था कि अगर वे वाकई न्यायप्रिय हैं, तो हर भारतीय नागरिक की सुरक्षा की मांग करें, न केवल दिखावे के लिए। उन्होंने अपने पोस्ट में असदुद्दीन ओवैसी की पोस्ट का उल्लेख करते हुए लिखा था इसलिए जब एक मुस्लिम नेता ने “पाकिस्तान मुर्दाबाद” कहा तो पाकिस्तानियों ने उसे ट्रोल किया, और भारत के दक्षिणपंथी लोग कहने लगे कि “वह हमारा मुल्ला है।” यह बात दिखाती है कि भारत की राजनीति में सांप्रदायिक सोच कितनी गहराई तक घुस गई है।

प्रोफेसर ने लिखा था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो 2 महिला अधिकारी सामने आईं, वह एक ऐसे भारत की झलक थी जो पाकिस्तान के निर्माण के तर्क को चुनौती देता है। एक ऐसा भारत जो विविधता में एकता का प्रतीक है, लेकिन जमीन पर मुसलमानों की जो हकीकत है, वह सरकार की इस तस्वीर से मेल नहीं खाती। फिर भी यह प्रेस कॉन्फ्रेंस एक उम्मीद की झलक जरूर देती है।

प्रोफेसर अली के इसी पोस्ट को लेकर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि उन्होंने भारतीय सेना और महिला अफसरों के विरुद्ध आपत्तिजनक टिपण्णी की है। 12 मई 2025 को हरियाणा राज्य महिला आयोग ने प्रोफेसर के सोशल मीडिया पोस्ट का खुद संज्ञान लिया। आयोग ने उनके बयानों को भारतीय सेना में कार्यरत महिला अधिकारियों के प्रति अपमानजनक और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने वाला माना।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने प्रोफेसर को समन जारी करते हुए 14 मई 2025 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। समन के बावजूद जब प्रोफेसर पेश नहीं हुआ, तो रेणु भाटिया ने FIR दर्ज करवाने की बात कही। इसके बाद उन्हें रविवार को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से गिरफ्तार कर लिया गया।

इससे पहले प्रोफेसर अली ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने जो कुछ भी सोशल मीडिया पर लिखा, वह महिलाओं के खिलाफ नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें बोलने से रोका जा रहा है। महमूदाबाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि नोटिस के साथ जो स्क्रीनशॉट हैं, उनसे साफ पता चलता है कि मेरी बातों को गलत समझा गया है। इस मामले में आयोग का कोई अधिकार नहीं है। महिला आयोग एक महत्वपूर्ण संस्था है, लेकिन मुझे जो समन भेजा गया है, उसमें यह नहीं बताया गया है कि मेरी पोस्ट किस तरह महिलाओं के अधिकारों या कानूनों के खिलाफ है।