बेंगलुरु। कर्नाटक में आए सियासी उबाल के बीच आखिरकार राज्य को अपना नया मुख्यमंत्री मिल गया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में आज बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री चुन लिया गया। बसवराज बोम्मई कर्नाटक सरकार में गृह मंत्री हैं और लिंगायत समुदाय के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। बसवराज बोम्मई के अलावा के अलावा मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में कर्नाटक सरकार में खनन मंत्री मुरूगेश निरानी का नाम भी चल रहा था। लेकिन बीजेपी ने अपना भरोसा बोम्मई में जताया है। 



बोम्मई येदियुरप्पा के करीबी माने जाते हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं में भी उनकी अच्छी पैठ है। वे खुद संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में निष्कासन के बाद येदियुरप्पा को बीजेपी में वापस लेकर आने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। क्योंकि येदियुरप्पा के जाने के बाद बीजेपी कर्नाटक में बिखरती जा रही थी और हार का मुंह देखने के बाद ही बीजेपी येदियुरप्पा को वापस लेने को राजी हुई। बोम्मई की इसमें विशेष भूमिका रही। इसी विश्वास की वजह से ही माना जा रहा है कि येदियुरप्पा ने खुद सीएम के लिए बोम्मई के नाम की सिफारिश की है। 



बोम्मई के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा होने पर कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बोम्मई को बधाई दी है। डीके शिवकुमार ने कहा है कि राज्य का नया मुख्यमंत्री बनने पर बसवराज बोम्मई को बधाई। कांग्रेस पार्टी और राज्य की जनता यह उम्मीद करती है कि अब सरकार का ध्यान गवर्नेंस की ओर केंद्रित रहेगा।





बसवराज बोम्मई वर्तमान में कर्नाटक सरकार में गृह, कानून और संसदीय मामलों के मंत्री का पदभार संभाल रहे हैं। बोम्मई इससे पहले कर्नाटक सरकार में जल संसाधन मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। बोम्मई बीजेपी की पिछली सरकार (2008-13) के दौरान जल संसाधन मंत्री रहे थे। इसके अलावा बोम्मई कानून मंत्री के तौर पर भी काम कर चुके हैं।



बसवराज बोम्मई का राजनीतिक कद इसलिए भी बड़ा है क्योंकि वे खुद एक राजनीतिक परिवार से आते हैं। वे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के बेटे हैं। पिता की राजनीतिक विरास्त को आगे ले जाने के लिए वे मेकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद राजनीति में आ गए। सिंचाई के क्षेत्र में बसवराज बोम्मई के योगदान को राज्य में काफी महत्व दिया जाता है।



वे 1998 से 2008 तक कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य रहे लेकिन 2008 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जनता दल से नाता तोड़ लिया और बीजेपी में शामिल हो गए। बोम्मई 2008 में शिगगांव सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और पहली बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे। 



बसवराज को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे सबसे बड़ी वजह लिंगायत समुदाय है, जिससे वह खुद ताल्लुक रखते हैं। लिंगायत समुदाय की आबादी कर्नाटक की कुल आबादी का 17 फीसदी हिस्सा है। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में लगभग सौ सीटों पर सीधा प्रभाव लिंगायत समुदाय का है। खुद पूर्व सीएम येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। यही वजह है कि येदियुरप्पा को हटाए जाने से बीजेपी लिंगायत समुदाय को साधने में जुटी हुई है। क्योंकि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक है।