कोलकाता। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल दौरे के आखिरी दिन बीरभूम में बाउल कलाकार वासुदेव के घर भोजन करने पहुंचे। वहां उन्होंने बंगाल का बहुप्रचलित बाउल लोकगीत भी सुना। लेकिन बाउल गायक की प्रस्तुति के दौरान अमित शाह का पूरा ध्यान कैमरे पर ही लगा नज़र आया।  



दरअसल बंगाल बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अमित शाह का एक वीडियो साझा किया है। जिसमें अमित शाह और उनके सहयोगी बाउल गीत सुनते दिखाई पड़ रहे हैं। गृह मंत्री के साथ मौजूद बाकी सहयोगी तो बाउल गीत का आनंद लेते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अमित शाह का ध्यान बाउल गीत से ज़्यादा सामने मौजूद कैमरे पर ही लगा रहा। वे लगातार इसी बात की चिंता करते नज़र आए कि कैमरे में उनकी तस्वीरें और हाव-भाव ठीक से रिकॉर्ड हो रहे हैं या नहीं। 





वीडियो की शुरुआत में अमित शाह कैमरा लिए एक शख्स को बुलाकर कुछ निर्देश देते हैं। कुछ पल बाद उन्हें देखकर लगता है कि मानो वे बाउल गीत की धुन का आनंद लेते हुए थाप दे रहे हैं। लेकिन अगले कुछ पलों के दौरान उनकी गतिविधियां संकेत देती हैं कि उनका पूरा ध्यान कैमरे पर ही केंद्रित है। अमित शाह को जैसे ही लगता है कि उनके और कैमरे के बीच कुछ व्यवधान आ रहा है, वे बेचैन हो जाते हैं। इसी बेचैनी में वे कभी कैमरामैन को डांट लगाते दिखाई पड़ते हैं तो कभी अपने सहयोगी को। 



 







अमित शाह ने कल बाउल कलाकार वासुदेव के घर भोजन भी किया था। बाउल कलाकार के घर जाने, वहां खाना खाने और संगीत सुनने के इस आयोजन का मकसद ये दिखाना है कि बीजेपी को पश्चिम बंगाल के आम लोगों और वहां की संस्कृति से कितना लगाव है।



 



तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी की इन कोशिशों पर तीखा तंज़ किया है, वो भी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 अप्रैल 2014 के एक पुराने ट्वीट को शेयर करते हुए। अपने उस ट्वीट में मोदी ने गरीबों के घर खाना खाने को कांग्रेस का पावर्टी टूरिज़्म यानी गरीबी पर्यटन बताया था। तृणमूल कांग्रेस ने मोदी के उस ट्वीट के साथ ज़मीन पर बैठकर खाना खाते अमित शाह, दिलीप घोष और कैलाश विजयवर्गीय की तस्वीर शेयर करके दिखाने की कोशिश की है कि दूसरों पर आरोप लगाने वाले बीजेपी के नेता खुद क्या कर रहे हैं। 



 







 



 



इससे पहले अमित शाह जब नवंबर महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल गए थे तब उन्होंने राज्य के आदिवासी मतुआ समुदाय के एक व्यक्ति के घर भोजन करके भी ऐसा ही संदेश देने की कोशिश की थी। ये सारी जद्दोजहद दरअसल अगले साल पश्चिम बंगाल की 294 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सफलता हासिल करने की है।