कोलकाता। हिंदी फ़िल्मों के अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती आज बीजेपी में शामिल हो गए। उनके बीजेपी में शामिल होने का एलान प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी सभा के लिए ब्रिगेड परेड मैदान में बनाए गए मंच से ही किया गया। लेकिन मोदी के सभा में पहुँचने से पहले। मिथुन चक्रवर्ती को मंच पर बीजेपी का दुपट्टा पहनाकर स्वागत करने और उनके साथ खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाने की जैसी होड़ राज्य के बीजेपी नेताओं में दिखी, उससे देखकर लगा मानो उन्हें पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए वो चेहरा मिल गया, जिसका इंतज़ार हो रहा था। ख़ासतौर पर पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली के राजनीति में उतरने से इनकार करने के बाद मिथुन से काफ़ी उम्मीद की जा रही थी, जो आज पूरी हुई।

लेकिन इस सवाल का जवाब मिलना अभी बाक़ी है कि पश्चिम बंगाल में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने रखकर विधानसभा चुनाव लड़ रही बीजेपी, क्या अब मिथुन के नाम पर वोट माँगेगी या फिर वे सिर्फ़ उन्हें सिर्फ़ एक स्टार प्रचारक के तौर पर भीड़ जुटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव कुल आठ चरणों में होना है। इसके तहत 27 मार्च को पहले दौर का मतदान होगा, जबकि नतीजे 2 मई को आएंगे।  

बहरहाल, कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर मिथुन चक्रवर्ती ने जब भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ली तो सभा में जय श्रीराम के नारे लगाए गए और खुद मिथुन ने पार्टी का झंडा भी लहराया। मिथुन को पार्टी की सदस्यता दिलाने का काम बीजेपी के बंगाल चीफ दिलीप घोष ने किया। इस दौरान मैदान में काफी भीड़ नज़र आई। 

मिथुन चक्रवर्ती ने रविवार को बीजेपी की सदस्यता लेने से पहले शनिवार की शाम को कोलकाता में बीजेपी के पश्चिम बंगाल प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात की थी। कैलाश विजयवर्गीय ने उसके बाद ही साफ़ कर दिया था कि मिथुन चक्रवर्ती रविवार को मोदी की रैली में मौजूद रहेंगे। मिथुन चक्रवर्ती राजनीति में पहली बार नहीं उतरे हैं। इससे पहले वे टीएमसी के राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। एक वो दौर भी रहा है, जब उन्हें लेफ़्ट का बेहद करीबी समझा जाता था। 

कुछ लोग मानते हैं कि मिथुन का बीजेपी में शामिल होना ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इससे पश्चिम बंगाल में बाहरी लोगों के राज को रोकने की उनकी दलील ध्वस्त हो जाएगी। लेकिन असल में मसला इतना सीधा नहीं है। ममता बनर्जी की मुहिम यह तो है ही नहीं कि बीजेपी में बंगाल के लोग नहीं हैं। हो भी नहीं सकती, जब बीजेपी के राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष से लेकर टीएमसी से आयातित शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय तक सब बंगाली ही हैं।

ममता बनर्जी की दलील तो यह है कि बीजेपी के राज में कुर्सी पर भले ही कोई और बैठ जाए, चलती सिर्फ़ दो ही लोगों की है, जो बंगाल के नहीं हैं। अपनी बात को और साफ़ करने के लिए ममता बार-बार दोहराती हैं कि बंगाल में गुजरात का शासन नहीं चलेगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मिथुन चक्रवर्ती के बीजेपी में शामिल होने से ममता की यह दलील कमज़ोर पड़ जाएगी? क्या लोग मान लेंगे कि पश्चिम बंगाल में अब बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की नहीं, बल्कि मिथुन चक्रवर्ती की चलेगी? सवाल यह भी है कि क्या मिथुन के चेहरे का लाभ उठाने के लिए बीजेपी उन्हें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी घोषित करेगी, वैसे ही जैसे केरल में ई श्रीधरन को किया है?