पटना। बिहार सरकार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में कड़ी फटकार झेलनी पड़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार अब तक 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) जमा कराने में विफल रही है। यानी ये रुपए कहां खर्च हुए सरकार के पास इसका हिसाब नहीं है।
बताया जा रहा है कि यह राशि विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन नियमानुसार इसके खर्च का विवरण अब तक जमा नहीं किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में राज्य की कुल देनदारियों में 12.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार का वित्तीय प्रबंधन कमजोर है और पारदर्शिता के दावों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
यह रिपोर्ट गुरुवार को बिहार विधानसभा में प्रस्तुत की गई। दस्तावेज में कहा गया है कि 31 मार्च 2024 तक महालेखाकार कार्यालय को कुल 49,649 UC पेंडिंग मिले। यह सरकारी नियमों का सीधा उल्लंघन है, क्योंकि किसी भी योजना के तहत आवंटित राशि के उपयोग का प्रमाण तय समय सीमा में देना जरूरी होता है।
ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 14,452.38 करोड़ रुपये की राशि तो 2016-17 या उससे पहले की है, जिसका खर्च का हिसाब आज तक नहीं दिया गया। यह दर्शाता है कि सरकारी महकमों में वित्तीय अनुशासन की भारी कमी है। इसे लेकर पूर्व CM राबड़ी देवी ने कहा कि शुरू से सरकार ने सिर्फ घोटाला ही किया है। जब से नरेंद्र मोदी सरकार चला रहे हैं 2014 से तब से सिर्फ घोटाला कर रहे हैं। देश के सभी चीज को तो धीरे-धीरे करके बेच दिया है।