नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड को लेकर देशभर में हंगामा मचा है। संसद से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक जासूसी कांड की गूंज सुनाई दे रही है। इसी बीच केंद्र सरकार ने जासूसी कांड को लेकर उठ रहे सवालों पर रोक लगाने की वकालत की है। केंद्र ने राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा है कि सदन में विपक्ष को इस मसले पर सवाल पूछने की अनुमति न दी जाए। केंद्र के इस पत्र को सदन के नियमों के दुरुपयोग के तौर पर देखा जा रहा है।

दरअसल, माकपा के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने केंद्र सरकार से सदन में पूछा था कि क्या सरकार ने इजरायली कंपनी NSO से पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था? अथवा भारत ने NSO के साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट किया है? राज्यसभा में यह प्रश्न स्वीकृत (PAQ) है इसलिए केंद्र को 12 अगस्त को इसका जवाब देना था। प्रश्न स्पष्ट होने के कारण उत्तर भी घुमावदार नहीं दिया जा सकता। ऐसे में केंद्र ने अब इस प्रश्न को ही आस्वीकार्य बता दिया है।

यह भी पढ़ें: साबरमती आश्रम के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को इतिहासकारों ने बताया गांधी की दूसरी हत्या

केंद्र सरकार ने इस प्रश्न के संबंध में राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा है कि PAQ में NSO ग्रुप के स्वामित्व वाले पेगासस मुद्दे के बारे में जानकारी मांगी गई है। इसकी अनुमति न दी जाए। केंद्र ने इसे अस्वीकार्य करने के पीछे यह तर्क दिया है कि विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट में जो मामला चल रहा है, केंद्र सरकार उससे जुड़े सवालों के जवाब नहीं दे सकती है।

इस पूरे मामले पर सांसद बिनॉय विश्वम ने केंद्र पर नियमों का विरोध करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'मुझे अनौपचारिक रूप से ये बताया गया है की मेरे प्रश्न को सचिवालय ने अस्वीकार कर दिया है। लेकिन मुझे अब तक इस संबंध में कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला है। सरकार राज्यसभा के नियमों का दुरुपयोग कर रही है और सच्चाई छिपाने का प्रयास कर रही है। मोदी सरकार को पेगासस के मुद्दे पर सवालों का सामना करना ही होगा।

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी की अगुवाई में आज जंतर मंतर जाएंगे विपक्षी नेता, आंदोलनरत किसानों का करेंगे समर्थन

बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय ने कल इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि ये बेहद गंभीर आरोप हैं। न्यायालय ने केंद्र को इस मामले में पक्ष रखने का समय भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार हो होगी। जासूसी कांड को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में 9 अलग-अलग पीआईएल दाखिल हुई है।