नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़े लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में अबतक कुल संक्रमितों की संख्या 47 लाख को पार कर चुकी है वहीं देशभर में प्रतिदिन तकरीबन एक लाख नए कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं। विश्वभर में प्रतिदिन सबसे ज्यादा नए मामले भारत में ही आ रहे हैं। इसी बीच अब यह खबर आई है कि हकीकत में भारत में प्रतिदिन सिर्फ एक लाख के करीब नहीं बल्कि दो से ढ़ाई लाख नए मामले सामने आने चाहिए। 

अंग्रेजी न्यूज चैनल एनडीटीवी ने अपने एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ा कुछ डेटा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस डेटा का अगर विश्लेषण किया जाए तो पाएंगे कि भारत में कोरोना संक्रमण के केस बताए जा रहे आँकड़ों से दो से ढाई गुना अधिक हो सकते हैं। इसका मुख्य कारण रैपिड एंटीजन टेस्ट पर निर्भरता बढ़ना बताया गया है।

बता दें कि पहले भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट अधिकांश बार गलत नतीजे देते हैं और कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को भी निगेटिव बता देते हैं।

आरटी-पीसीआर टेस्ट की तुलना रैपिड एंटीजन टेस्ट से की जाए तो पता चलता है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट में दो से ढ़ाई गुना ज्यादा मामले सामने आते हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में जांच के दौरान इस बात की पुष्टि हो चुकी है। राजधानी दिल्ली में आरटी-पीसीआर का पॉजिटिविटी रेट 14 फीसदी और रैपिड एंटीजन का रेट 5 फीसदी है। वहीं अगर मुंबई की बात की जाए तो वहां आरटी-पीसीआर का पॉजिटिविटी रेट 24 फीसदी वहीं रैपिड एंटीजन का रेट 10 फीसदी है।

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चौंकाने वाली बात यह है कि देशभर में दोनों जांच के तरीकों में पॉजिटिविटी रेट का औसत करीब एक बराबर आ रहा है। आरटी-पीसीआर में 9 फीसदी वहीं रैपिड एंटीजन टेस्ट में 7 फीसदी। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा संभव नहीं हो सकता है जो इस ओर इशारा करते हैं कि भारत मे आरटी-पीसीआर टेस्टिंग ठीक से नहीं हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार आरटी-पीसीआर के पॉजिटिविटी रेट एंटीजन की 7% से दो से ढाई गुना अधिक आनी चाहिए। यानी कि यदि रोज एक लाख केस आ रहे हैं तो इसका वास्तविक आंकड़ा दो से ढाई लाख प्रतिदिन होने चाहिए।

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सार्वजनिक स्वास्थ्य का आपातकाल

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मामले को चिंताजनक और गहरा संकट बताया है। उन्होंने कहा, 'यदि भारत में प्रतिदिन ढाई लाख कोरोना केस सामने आ रहे हैं तो पीएम मोदी को यह बात देश को बताना होगा।' सुरजेवाला ने पूछा है कि देशभर के पीसीआर टेस्ट का खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा है? क्या डेटा में हेर-फेर ही एकमात्र तरीका बच गया है? क्या इस सार्वजनिक स्वास्थ्य के आपातकाल को अनदेखा किया जा सकता है?