नई दिल्ली/ जयपुर। राजस्थान में प्रदेश सरकार और राज्यपाल कालराज मिश्र के बीच गतिरोध जारी है। राज्यपाल ने सरकार द्वारा शनिवार को भेजे गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। सरकार ने अपने प्रस्ताव में विधानभा सत्र बुलाने की मांग की थी। जिसे राज्यपाल ने यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि सरकार को पहले सत्र के स्पष्टीकरण देने होगा कि आखिर कैबिनेट किस लिए सदन का सत्र बुलाना चाहती है। इसी बीच देश के तीन पूर्व कानून मंत्रियों कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार ने राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने का सुझाव दिया है।

राज्यपाल कैबिनेट के सलाह पर काम करने के लिए बाध्य
तीनों पूर्व कानून मंत्रियों ने राज्यपाल कालराज मिश्र को लिखे अपने पत्र में कहा है कि राज्यपाल कैबिनेट की विधानसभा सत्र बुलाने की सलाह मानने के लिए संवैधानिक तौर पर बाध्य हैं। पूर्व कानून मंत्रियों के मुताबिक संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत तथा संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को अनुसार राज्यपाल कैबिनेट के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इंकार नहीं कर सकते। पूर्व मंत्रियों ने इस संबंध में राज्यपाल को शमशेर सिंह बनाम भारत सरकार (1974 ) और  नबाम रेबिया ( 2016) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उदाहरण दिया है। जो कि इस बात की तस्दीक करते हैं कि राज्यपाल को कैबिनेट की राय शुमारी के आधार पर ही काम करना चाहिए। 

पूर्व मंत्रियों ने राज्यपाल को प्रेषित पत्र में कहा है कि भारतीय संविधान में राज्यपाल के पद का एक गरिमाई स्थान है। संविधान में राज्यपाल का पद पार्टी रहित दृष्टिकोण रखने के लिए परिकल्पित है। ताकि राज्यपाल सभी पूर्वाग्रहों और दलगत राजनीति से मुक्त हो कर कार्य कर सके। तीनों पूर्व मंत्रियों ने कहा है कि सरकार में कानून मंत्री रहने के तौर पर और लंबे अरसे से संवैधानिक नियमों के विद्यार्थी होने के नाते हमारा यह स्पष्ट तौर पर मानना है कि राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा को मानने के लिए पूरी तरह से बाध्य हैं।