भोपाल।



हजारों लोगों की जान लेने वाले कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 21 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया है। मगर, चिंता यह है कि हजारों लोगों की मौत और इस कारण ढहती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए दूसरे देशों की सरकारों ने खजाना खोल दिया है। वहीं इस मामले में भारत की तैयारी पीछे है। कोरोना से दुनिया पर पड़ रहे आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करते हुए द इकोनॉमिस्ट मैगजीन ने लिखा है कि भारत में कम संख्या में लोगों की स्क्रीनिंग होने से सही हालात सामने नहीं आ रहे हैं। राज्यों की सीमाओं पर लोगों की स्क्रीनिंग केवल तापमान मापने तक हो रही है। 





भारत में टेस्ट कम इसलिए मामले भी कम 

देेेेश में कई लोग टेस्टिंग किट की कमी का जिक्र करते हैं। भारत में 18 मार्च तक 12 हजार से अधिक लोगों की टेस्टिंग हुई थी। भारत की तुलना में बहुत कम आबादी के दक्षिण कोरिया में दो लाख 70 हजार व्यक्तियों की जांच हो चुकी है। यदि हमारे यहां 20 गुना अधिक टेस्ट होते तो 20 गुना से अधिक मामले सामने आ सकते थे। अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए भारत की स्थिति चिंताजनक हो सकती है। 



गरीबों की आजीविका पर सबसे ज्‍यादा फर्क

आंकड़ों के अनुसार फेफड़ों को प्रभावित करने वाली इस बीमारी से निपटने के लिए देश की जनता भी तैयार नहीं है। गरीबी की वजह से बहुत लोग काम छोड़ने या घर से काम करने की स्थिति में नहीं हैं। लॉक डाउन या जनता कर्फ्यू जैसी स्थिति में इन गरीबों की आजीविका की चिंता करनी जरूरी हो गई है। मजदूर, ऑटो रिक्शा ड्राइवर, रिक्शा चालक, रेहड़ी पटरी वाला तबका सबसे अधिक प्रभावित होने वाला है। अगले दो महीने इन लोगों के लिए सर्वाधिक मुश्किल होने वाले हैं। 



 





 



नाज़ुक अर्थव्यवस्था पर एक कड़ा प्रहार : राहुल



कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी चिंता को जाहिर करते हुए ट्वीट किया कि कोरोना वायरस हमारी नाज़ुक अर्थव्यवस्था पर एक कड़ा प्रहार है। छोटे, मध्यम व्यवसायी और दिहाड़ी मजदूर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ताली बजाने से उन्हें मदद नहीं मिलेगी। आज नकद मदद, टैक्स ब्रेक और कर्ज अदायगी पर रोक जैसे एक बड़े आर्थिक पैकेज की जरुरत है। सरकार तुरंत कदम उठाएं!



छोटे व्‍यापारियों व गरीबों की फिक्र हो : नाथ



मप्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि नोवल कोरोना वायरस से बचाव व सुरक्षा के लिये एहतियातन कई क़दम उठाये जा रहे है व कई निर्णय लिये जा रहे है। जिसमें बाज़ार बंद, जनता कर्फ़्यू, व्यावसायिक क्षेत्र बंद, कार्यालय बंद, जनता द्वारा ख़ुद को लॉक डाउन, आयोजन बंद, समारोह बंद जैसे निर्णय सावधानी बतौर लिये जा रहे है। इन निर्णयों से बड़े व्यवसायी तो एक बार ख़ुद को इस संकट से उबार लेंगे लेकिन वो ग़रीब खुदरा-छोटे व्यवसायी और वो व्यवसायी जो प्रतिदिन कमाकर अपना जीवन यापन करते है, घर चलाते है, उनको होने वाली आर्थिक क्षति को लेकर मैं बेहद चिंतित हूँ।  चूँकि एक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में, अब मैं कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकता हूँ, इसलिये मैं आगामी सरकार से ही उम्मीद कर सकता हूँ कि इन छोटे-छोटे व्यवसायियों को होने वाली आर्थिक क्षति व नुकसान की भरपाई वो आते ही करे। इनके लिये एक राहत पैकेज की घोषणा करे।