नेपाल ने भारत को एक ''कूटनीतिक पत्र'' भेजा है। नेपाल ने कहा है कि भारत अपने देश एवं नेताओं के खिलाफ ऐसे कार्यक्रमों के प्रसारण पर कदम उठाए जो उसके मुताबिक ''फर्जी, आधारहीन और असंवेदनशील होने के साथ ही अपमानजनक'' भी हैं। नेपाल ने भारतीय मीडिया के एक वर्ग पर इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण का आरोप लगाया है। इस पत्र पर भारत की तरफ से अभी कोई जवाब नहीं भेजा गया है। इससे पहले नेपाल ने 9 जुलाई को दूरदर्शन के अलावा सभी भारतीय निजी मीडिया चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। उसने आरोप लगाया था कि ये चैनल देश की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली खबरें प्रसारित कर रहे हैं। इस कदम के कुछ ही दिन बाद नेपाल ने भारत से यह अनुरोध किया है।

हालांकि भारत सरकार की तरफ से नेपाल के इन दोनों एक्शन्स पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। लेकिन नेपाली प्रधानमंत्री के एक सहायक के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास के जरिए विदेश मंत्रालय को दी गई राजनयिक टिप्पणी में कहा गया है कि भारतीय मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रसारित की जा रही सामग्री '' नेपाल और नेपाली नेतृत्व के प्रति फर्जी, आधारहीन और असंवेदनहीन होने के साथ ही अपमानजनक भी है।''

 भारतीय अधिकारियों से अनुरोध : ऐसी सामग्री के प्रसारण पर रोक के लिए कदम उठाए जाएं

भारत और नेपाल के बीच संबंधों में कड़वाहट उस समय आई, जब आठ मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। यह रोड लिपुलेख को धारचुला से जोड़ती है। नेपाल ने इस रोड के निर्माण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हए कहा कि यह नेपाली भूभाग से होकर गुजरती है। हालांकि, भारत ने नेपाल का दावा नकार दिया है।

बाद में नेपाल ने संवैधानिक संशोधन करते हुए देश का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया। इसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। भारत ने इसके ऊपर गहरी आपत्ति जताई। इस बीच नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के एक धड़े ने भारत विरोधी कदमों के लिए प्रधानमंत्री केपी ओली की आलोचना की है और कहा है कि प्रधानमंत्री ओली का यह कदम ना राजनीतिक और ना ही राडनयिक रूप से उचित है।