नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार (29 जुलाई) को नई शिक्षा नीति लागू कर दी है। शिक्षा नीति के डिटेल्स आने के बाद लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग इसका स्वागत कर रहे हैं वहीं कुछ लोगों का मानना है कि केंद्र सरकार इस नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर रही है। केंद्र के इस फैसले पर कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी में सवाल खड़े किए हैं।



कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर कहा है कि संसद को दरकिनार और राज्य सरकारों की राय को नजरअंदाज करते हुए सरकार ने इस नीति को लागू की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार भारतीय शिक्षा प्रणाली को एकतरफा नष्ट कर रही है।




विभिन्न समुदायों से आने वाले बच्चों की क्या है मातृभाषा ?



मशहूर पत्रकार व हाल ही में हार्वड यूनिवर्सिटी में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त हुई निधि राजदान ने भी केंद्र सरकार की इस नई शिक्षा नीति पर तंज कसा है। उन्होंने 5 वीं कक्षा तक बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने के फैसले को 10 अंक दिए हैं। हालांकि उन्होंने पूछा है कि यदि किसी बच्चे के माता-पिता विभिन्न समुदायों से आते हों तो उसके लिए मातृभाषा क्या होगी?





राजदान के इस ट्वीट पर एक यूजर @ramchandrajd ने रिप्लाई किया है कि, 'मैं वास्तव में दूसरों को भ्रमित करने के तरीके की सराहना करता हूं। मातृभाषा राज्य के संदर्भों में होता है जैसे कर्नाटक के लिए कन्नड़ मातृभाषा है।'




कला को दिए गए महत्व को लेकर खुशी



भारत की मशहूर गायिका आशा भोंसले ने इस नई शिक्षा नीति की तारीफ किए हैं। उन्होंने कहा, 'भारत सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति में कला और संस्कृति को दिए जा रहे महत्व को देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।'





जानेमाने लेखक और आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित ने भी इसका स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा का परिचय स्वागत योग्य है, मिशनरी स्कूलों के लिए भी अनिवार्य होना चाहिए।'