नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक खत्म हो है है। बैठक की अध्यक्षता कर रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह में 2.35 करोड़ की कमी आने की आशंका है। जीएसटी संग्रह की इस कमी को उन्होंने दैवीय आपदा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इस वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था काफी ज्यादा सिकुड़ सकती है। जीएसटी परिषद की यह बैठक केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को कर संग्रह मुआवजा राशि देने पर विचार को लेकर आयोजित हुई थी। 

नियमों के अनुसार केंद्र सरकार को जीएसटी के आने के पहले पांच सालों तक 14 प्रतिशत कर संग्रह वृद्धि दर के हिसाब मुआवजा देना है। अटॉर्नी जनरल ने भी केंद्र सरकार को राज्यों को यह राशि चुकाने के लिए कहा। बताया जा रहा है कि पांच घंटे चली इस लंबी बैठक में राज्यों को यह मुआवजा राशि देने के लिए दो तरीकों पर विचार किया गया। 

पहले तरीके के तौर पर जीएसटी परिषद के लिए एक स्पेशल विंडो खोलने का प्रस्ताव रखा गया। इसके तहत परिषद को राज्यों को 97 हजार करोड़ रुपये तर्कसंगत ब्याज दरों पर देने का प्रस्ताव दिया गया। यह रकम फिर पांच साल बाद कर संग्रह से चुकाई जा सकती है। दूसरे रास्ते के तौर पर आरबीआई के साथ विचार विमर्श कर पूरा का पूरा दो लाख 35 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा चुकाने का प्रस्ताव रखा गया। 

Click: GST: मुआवजे को लेकर राज्यों के निशाने पर केंद्र सरकार

वित्त मंत्री ने बताया कि राज्यों ने इन दोनों प्रस्तावों पर सोच विचार करने के लिए सात दिन का समय मांगा है। उन्होंने बताया कि ये दोनों प्रस्ताव केवल चालू वित्त वर्ष के लिए ही लागू होंगे। अगले वित्त वर्ष के लिए फिर से फैसले लिए जाएंगे, जो देश की बेहतरी के लिए हों। 

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों से राज्यों को केंद्र की तरफ से जीएसटी मुआवजा राशि नहीं मिली है। केंद्र सरकार का कहना है कि कोविड 19 महामारी के कारण जीएसटी संग्रह नहीं हो पाया है, इसलिए राज्यों को मुआवजा देने में मुश्किल आ रही है।