नई दिल्ली।  पैन कार्ड को आधार से लिंक करने के बाद अब केंद्र सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। अब वोटर आईडी कार्ड को भी भी आधार से लिंक करना जरुरी कर दिया गया है। माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से एक व्यक्ति का एक ही वोटर आईडी कार्ड रहेगा और जिन्होंने एक से ज्यादा वोटर आईडी कार्ड बना रखा उसकी पहचान कर  फर्जी कार्ड को खत्म करने में मदद मिलेगी।

केंद्र सरकार ने इस फैसले को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। कानून मंत्री ने एक चार्ट शेयर किया कि जिसमें लिखा है कि इलेक्टोरल रोल डाटा के आधार इकोसिस्टम के साथ लिंक किए जाने के बाद एक ही व्यक्ति द्वारा अलग अलग स्थानों पर मल्टीपल वोटर आईडी कार्ड बनाने पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। कानून मंत्री ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाया गया ये ऐतिहासिक कदम है।

केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने शुक्रवार रात इसकी अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना में केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने घोषणा की कि पिछले साल दिसंबर में संसद द्वारा पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुरूप नियमों में संशोधन किया गया है। निर्वाचकों का पंजीकरण (संशोधन) नियम, 1 अगस्त 2022 से लागू होगा। एक दूसरी अधिसूचना में कहा गया है कि मतदाता सूची में पहले से नामांकित लोगों को 1 अप्रैल 2023 को या उससे पहले अपने आधार नंबर की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी होगी।

बता दें कि इसके पहले केंद्र ने पैन कार्ड को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया था। इतना ही नहीं एक अप्रैल 2022 से पैन को आधार के साथ लिंक करने पर पेनल्टी देना पड़ रहा है। 30 जून के बाद से आपको दोगुनी पेनल्टी का भुगतान करना पड़ेगा। दरअसल, 1 अप्रैल 2022 से पैन नंबर के आधार से लाथ लिंक करने पर 500 रुपये पेनल्टी भरना होता है। लेकिन 30 जून 2022 तक लिंक नहीं करने पर 1 जुलाई से 1,000 रुपये पेनल्टी देना होगा।