नई दिल्ली। राज्य सभा का मानसून सत्र आज तय समय से पहले ही समाप्त हो गया। सभापति वेंकैया नायडू ने इसका एलान कर दिया। इससे पहले आज विपक्ष की गैर-मौजूदगी में सदन ने कई अहम बिल पारित किए। इनमें जम्मू कश्मीर ऑफिशियल लैंग्वेजेज बिल और देश के श्रम कानूनों में बड़े बदलाव करने वाले तीनों लेबर कोड शामिल हैं। सत्र के समापन का एलान करने से पहले सभापति वेंकैया नायडू ने बताया कि सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने उन्हें पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि विपक्ष की गैर-मौजूदगी में लेबर कोड बिल पारित न कराए जाएं। लेकिन नायडू ने कहा कि उन्होंने पत्र पर विचार करने के बाद विपक्ष के अनुरोध को खारिज करके बिल पारित करने की अनुमति देने का फैसला किया। 

तीनों लेबर कोड बिल पारित

राज्यसभा ने आज श्रम कानूनों में बड़े बदलाव करने वाले जिन तीन अहम विधेयकों को पारित किया वे हैं – इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड 2020, ऑक्युपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन्स कोड 2020 और द कोड ऑफ सोशल सिक्योरिटी 2020। लोकसभा में ये कोड पहले ही पास हो चुके हैं। सरकार की तरफ से एक साथ पेश किए गए इन तीनों कोड पर सदन में कुछ देर तक चर्चा हुई तो जरूर लेकिन विपक्ष के मौजूद न होने की वजह से इस चर्चा में कोई आलोचनात्मक नज़रिया सामने नहीं आया। और आज पेश किए गए बाकी बिलों की तरह ही लेबर कोड बिल भी किसी गर्मागर्म बहस के बिना बड़ी आसानी से पारित हो गए।
 

श्रम मंत्री ने कहा कांग्रेस को मजदूरों की फिक्र नहीं 

लेबर कोड को सदन में पेश करने वाले श्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने कांग्रेस के सदन में मौजूद न होने के बावजूद उसे निशाना बनाकर चर्चा में कुछ गर्माहट लाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को मजदूरों की कोई परवाह नहीं है। गंगवार ने ये दावा भी किया कि लेबर कोड में बदलाव से कामगारों का हड़ताल करने का अधिकार खत्म नहीं हो जाएगा, लेकिन उन्हें हड़ताल करने से पहले 14 दिन का नोटिस ज़रूर देना होगा। लेबर कोड बिल में एक विवादित प्रावधान यह है कि इसके कानून बनने के बाद 300 तक कर्मचारियों वाली कंपनी को छंटनी या बंदी के लिए किसी तरह की इजाजत नहीं लेनी होगी। फिलहाल 100 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी को भी इसके लिए इजाजत लेनी होती है।

 

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FCRA संशोधन विधेयक राज्य सभा में पारित

केंद्र सरकार ने आज FCRA संशोधन विधेयक भी राज्य सभा से पारित करवा लिया। लोकसभा में यह बिल पहले ही पारित किया जा चुका है। सदन में विपक्ष के मौजूद न होने की वजह से बिल के पारित होने में कोई अड़चन नहीं हुई। सदन में यह बिल गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया। इस संशोधन विधेयक के जरिए विदेशी फंड हासिल करने वाले NGO यानी समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े नियमों कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनमें रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर को अनिवार्य बनाना और बैंक खाते सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नई दिल्ली ब्रांच में ही खोलने की इजाजत जैसे विवादित प्रावधान भी शामिल हैं।

राज्यसभा : बिना विपक्ष के चल रही है कार्यवाही

विपक्षी सांसदों की गैर-मौजूदगी में राज्य सभा की कार्यवाही आज सुबह 9 बजे से चल रही है। लोकसभा की कार्यवाही शाम 6 बजे से शुरू होने की संभावना है। कृषि बिल पारित कराने के तरीके और राज्यसभा के 8 विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्षी दल संसद के दोनों सदनों के कामकाज का बहिष्कार कर रहे हैं। मंगलवार की शाम संसद की बिज़नेस एडवाइज़री कमेटी की बैठक में भी विपक्षी सांसद शामिल नहीं हुए थे।

संसद के मानसून सत्र का वक्त से पहले समापन

राज्यसभा का मानसून सत्र आज दोपहर बाद ही समाप्त हो गया। लोकसभा का सत्र भी आज ही खत्म होने के पूरे आसार हैं। हालांकि पहले संसद का मानसून सत्र 1 अक्टूबर तक चलाया जाना था। लेकिन बताया जा रहा है कि सांसदों और मंत्रियों के कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से सत्र को आज ही खत्म करने का फैसला किया गया।