नई दिल्ली। राजस्थान में जारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच एक अप्रत्याशित कदम में स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में डाली गई अपनी याचिका वापस ले ली है। स्पीकर ने कहा कि इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने विस्तृत फैसला दिया है और आगे कोई कदम उठाने से पहले उनकी कानूनी टीम हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन करेगी। स्पीकर की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट के 24 जुलाई के आदेश को बाद में चुनौती दी जा सकती है।

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने राज्य के हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसमें कोर्ट ने 24 जुलाई तक स्पीकर को बागी विधायकों को दिए गए अयोग्यता के नोटिस पर किसी भी तरह की कार्यवाही करने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद स्पीकर और कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को बहस छिड़ गई। स्पीकर की तरफ से बार-बार कहा गया कि कोर्ट उन्हे कार्यवाही करने से नहीं रोक सकता। हालांकि, नोटिस पर स्पीकर के फैसले के बाद कोर्ट का दरावाजा खटखटाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि विधायकों को असंतोष को अयोग्यता नहीं कहा जा सकता और जनता द्वारा चुने गए विधायकों की अभिव्यक्ति नहीं दबाई जा सकती। इसके बदले में स्पीकर ने कहा कि विधायकों को उनका पक्ष रखने के लिए ही नोटिस दिया गया है और यह महज असंतोष नहीं है बल्कि सचिन पायलट और बाकी विधायक बीजेपी के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने की साजिश कर रहे हैं।

दोनों पक्षों के सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट और स्पीकर के अधिकार क्षेत्र के जुड़े सवाल लोकतंत्र से जुड़े बहुत जरूरी सवाल हैं और इसके ऊपर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने तब हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि कोर्ट इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेगा और हाई कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आधीन होगा, जरूरत पड़ने पर उसमें बदलाव किया जा सकता है। वहीं 24 जुलाई को दिए गए अपने फैसले में राजस्थान हाई कोर्ट ने स्पीकर को इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा।

सवालों के साथ विधानसभा सत्र का प्रस्ताव वापिस 

उधर ताजा घटनाक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ 'सवालों' के साथ सरकार को वापस भेजा है। पिछले एक हफ्ते में यह दूसरी बार है, जब राज्यपाल ने सरकार के विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को लौटाया है।

राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए राज्यपाल को 25 जुलाई कीी देर रात एक संशोधित प्रस्ताव भेजा था। इसमें मंत्रिमंडल ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से आहूत करने का आग्रह किया है।