नई दिल्ली। भारत में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने वाले संगठन के तौर कर अपनी पहचान रखने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि देश में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। एक विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बनाते हुए आरएसएस ने कहा है कि देश में संविधान और आजादी के नाम पर धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही आरएसएस ने यह दावा भी किया है कि देश में हिंदू समाज को विखंडित करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। 

आरएसएस ने इन बातों को उल्लेख अपनी वार्षिक रिपोर्ट में किया है। आरएसएस ने कर्नाटक के हिजाब विवाद और केरल में हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं की हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा है कि देश में धार्मिक कट्टरता एक बार फिर अपना सिर उठाने लगी है। आरएसएस ने कहा है कि यह सब संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में उन्मादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। 

इसके अलावा आरएसएस ने यह दावा किया है कि देश के हिंदू समाज को भी विखंडित करने की साजिश रची जा रही है। इतना ही नहीं आरएसएस ने एक विशेष समुदाय को निशाना बनाते हुए कहा है कि एक समुदाय विशेष सरकारी तंत्र में घुसने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू समाज को विखंडित करने के लिए गहरी साजिशें रची जा रही हैं। एक बड़े वर्ग के भीतर यह भाव पैदा किया जा रहा है कि वे हिंदू नहीं हैं। 

इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशों से एक एजेंडे पर काम किया जा रहा है, जिसमें बौद्धिकता की आड़ में दुर्भावना का प्रसार किया जा रहा है। मोहन भागवत द्वारा जारी रिपोर्ट में हिंदुत्व के लिए एक वैचारिक माहौल बनाने का आह्वान किया गया है।