नई दिल्ली। सोशल मीडिया कंपनियों के लिए फरवरी महीने में भारत सरकार द्वारा जारी नए नियमों की डेडलाइन समाप्त हो चुकी है। डेडलाइन समाप्त होने के कारण सोशल मीडिया यूजर्स इस बात को लेकर चिंतित थे कि क्या अल्टीमेटम समाप्त होने के बाद भारत सरकार फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया साइट्स को बैन कर देगी? अब इस मसले पर फेसबुक और गूगल का कहना है कि वे भारत सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन करने हेतु कदम उठा रहे हैं, जबकि भारत सरकार के नियमों से असंतुष्ट वॉट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। 

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दरअसल 25 फरवरी को भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। जिसके अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में पब्लिक ग्रिवांस अधिकारी, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और कंप्लायंस अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए कहा था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले आपत्तिजनक कंटेंट पर 24 घंटे के भीतर संज्ञान लेने और 15 दिनों के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। इन सभी नियमों का पालन करने के लिए भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को 25 मई तक अल्टीमेटम दिया था। 

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लेकिन सोशल मीडिया कंपनियों ने भारत सरकार की डेडलाइन समाप्त होने तक नियमों का पालन नहीं किया। जिसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का उल्लेख किया जाने लगा कि भारत सरकार आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को मिली छूट वापस ले सकती है। जिसके मुताबिक 50 लाख से ज़्यादा यूजर्स की संख्या वाली सोशल मीडिया कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक पोस्ट होने पर कंपनियों को कार्रवाई से छूट मिलती है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात की चर्चा भी ज़ोर पकड़ने लगी कि भारत सरकार ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियों को भारत में बंद कर सकती है। 

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अब गूगल और फेसबुक ने बताया है कि वे दोनों भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कदम उठा रही हैं। जबकि ट्विटर ने इस मसले पर अब तक अपना कोई पक्ष नहीं रखा है। वहीं वॉट्सएप भारत सरकार के दिशानिर्देशों से संतुष्ट नहीं है। इसलिए वॉट्सएप ने भारत सरकार के नियमों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। जिसमें कंपनी ने याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि भारत सरकार के नियमों के मुताबिक उन्हें मेसेज के ओरिजिन ट्रेस करना पड़ेगा। लेकिन कंपनी की पॉलिसी के मुताबिक वो अपने यूजर्स को चैट की प्राइवेसी का मुकम्मल ध्यान रखती है। कंपनी दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि भारत सरकार के ये दिशानिर्देश निजता के अधिकार का उल्लंघन है।