नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद से ही एक के बाद एक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। देश के राजनीतिक पटल पर मंदिर और मस्जिद की सियासत नया रूप ले रही है। समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने पार्टी लाइन से हटकर कहा है कि अयोध्या में मस्जिद थी, है और रहेगी। इसके लिए मुसलमानों को घबराने की जरूरत नहीं है। 

बीजेपी ने ताकत के बल पर कोर्ट का फैसला कराया

यूपी के संभल संसदीय क्षेत्र से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी जिसके लिए मुसलमानों को तनिक भी घबराने की जरूरत नहीं है। सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने कहा है कि बीजेपी ने अपनी ताकत के बल पर कोर्ट से फैसला अपने पक्ष में कराया है। लेकिन इस देश का मुसलमान अल्लाह के भरोसे है, उसे न तो प्रधानमंत्री के आसरे की जरूरत है और न ही वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसे है।  

बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या कर दी है

सपा नेता शफीकुर्रहमान ने बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है।शफीकुर्रहमान के कथनानुसार संग-ए-बुनियाद रखना ( नींव की ईंट रखना) जम्हूरियत (लोकतंत्र) का कत्ल करना है। इस जम्हूरी मुल्क ( लोकतांत्रिक देश ) में यह जो अमल हो रहा है, उन्होंने शायद इस पर कभी गौर नहीं किया कि हम जो कुछ भी यहां कर रहे हैं, वह किस बुनियाद पर कर रहे हैं। उनकी ( बीजेपी) सरकार है, उन्होंने ताकत के दम पर संग-ए-बुनियाद रख दी। कोर्ट से भी अपने पक्ष में फैसला करा लिया। 

इससे पहले राम मंदिर के भूमिपूजन के दिन हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। तो वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कथित तौर पर ट्वीट किया था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इसके लिए हागिया सोफिया हमारे सामने बेहतरीन मिसाल है। केवल बहुसंख्यक तुष्टिकरण के आधार पर हकीकत को बदला नहीं जा सकता है। कोई भी स्थिति स्थाई नहीं होती है। 

हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्वीट को बाद में डिलीट कर लिया। जिस पर बोर्ड के सचिव और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि वो पोस्ट बिना किसी रज़ामंदी के डाला गया था। जिसे अब हटा दिया गया है। जफरयाब जिलानी ने ट्वीट से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनका ट्वीट से कोई लेना देना नहीं है। हां, लेकिन जफरयाब जिलानी ने भी लगभग उसी स्वर और अंदाज़ में बात कही कि हमलोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हमारी तरफ से फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका को नहीं सुना गया, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।जिलानी ने कहा कि हमलोग इस मुद्दे को अनवरत उठाते रहेंगे।