इंदौर। मध्य प्रदेश में किसानों की रीढ़ बनी सोयाबीन फसल आज अमानक बीज, नकली आदान और संस्थागत भ्रष्टाचार की मार झेल रही है। इस गंभीर संकट पर ध्यान आकृष्ट करते हुए केदार सिरोही (पूर्व सदस्य, कृषि सलाहकार परिषद, मप्र शासन) ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एक विस्तृत खुला पत्र जारी किया है। इमसें उन्होंने बताया है कि किसानों को प्रति एकड़ 35 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित खुला पत्र में सिरोही ने कहा कि, 'मध्यप्रदेश देश का प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य है, परंतु बीज की गुणवत्ता, प्रमाणीकरण की पारदर्शिता और सरकारी तंत्र की जवाबदेही पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। किसान नकली बीज और असफल नीतियों के कारण औसतन प्रति एकड़ ₹35,000 का घाटा सह रहा है।'
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प्रमुख आरोप और माँगें
1. बीज माफिया का वर्चस्व: TL, F1, F2 श्रेणियों के बीज अमानक और अनियमित हैं। 70% TL बीज की बिक्री किस आधार पर हो रही है?
2. बीज प्रमाणीकरण संस्था में भ्रष्टाचार: मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था पर स्पेशल ऑडिट की माँग, ताकि संगठित घोटालों का पर्दाफाश हो।
3. बीज कंपनियों की जवाबदेही तय हो: स्वतंत्र ऑडिट द्वारा उत्पादन स्रोत, बैलेंस शीट और वितरण प्रणाली की जाँच हो।
4. Genetic Purity Lab की स्थापना: गुणवत्ता की वैज्ञानिक पुष्टि के लिए राज्य स्तर पर प्रयोगशालाएँ अनिवार्य हों।
5. नेशनल सीड पोर्टल में पारदर्शिता: बीज उत्पादक किसानों की पहचान सार्वजनिक की जाए।
6. नकली आदानों पर रोक: बाजार में खुलेआम बिक रहे नकली खाद, दवाई और बीज पर तत्काल कड़ी कार्रवाई हो।
7. C1 बीज उत्पादन पर रोक: Breeder, F1, F2 श्रेणियों के स्थान पर C1 बीज का उत्पादन नियमविरुद्ध, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विरुद्ध और किसानों के हितों के खिलाफ है।
सिरोही ने यह भी लिखा है कि जब आप (शिवराज सिंह) 'पाँव-पाँव वाले भैया' थे तब खेती किफायती थी। आज जब आप हेलीकॉप्टर से उतरते हैं, उसी अनुपात में किसानों की लागत भी आसमान छू रही है।
प्रमुख प्रश्न -
1. क्या सीड प्रमाणीकरण संस्था का स्पेशल ऑडिट होगा?
2. क्या बीज कंपनियों की जवाबदेही तय की जाएगी?
3. क्या नेशनल सीड पोर्टल पारदर्शी बनाया जाएगा? यह कब तक होगा?
किसान नेता ने कहा कि यह कोई एक जिले की समस्या नहीं – यह समूचे मध्यप्रदेश और देश के किसानों की सामूहिक त्रासदी है। यदि मंत्रीजी केवल औपचारिक दौरे तक सीमित रहेंगे, तो यह किसानों के विश्वास के साथ एक और धोखा होगा। लेकिन यदि यह दौरा ठोस नीति सुधारों की शुरुआत है – तो हम जैसे हजारों किसान उनके साथ खड़े हैं।